खेती में ज्यादा मुनाफा लेना हो तो कृषि यंत्रों की देखभाल पर भी दें ध्यान

February 11 2021

बदलते समय के साथ ही अब खेती-बाड़ी में उन्नात तकनीकों का उपयोग होने लगा है। अधिकांश कार्य आधुनिक कृषि उपकरणों के साथ होता है, लेकिन कृषि यंत्रों का उपयोग बढ़ने के बावजूद उनकी देखरेख के उपायों से अधिकांश किसान पूरी तरह परिचित नहीं है। ऐसे में कृषि यंत्रों में तकनीकी समस्याएं आती रहती हैं, जिन्हें दुरुस्त कराने में किसानों को राशि खर्च करना पड़ती है। ऐसे में इन कृषि यंत्रों की देखरेख की बारीकियों से किसानों को रूबरू कराने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने पहल की है। यहां पर सीहोर जिले से विशेषज्ञ किसानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।

समीपस्थ ग्राम गिरवर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक किसानों को खेती के उन्नात तरीकों की जानकारी वर्ष भर ही दी जाती है। फसल की बुआई से लेकर उसकी कटाई तक के तरीकों के बारे में बताया जाता है। वहीं अब विषय विशेषज्ञों को बुलवाकर कृषि यंत्रों की देखरेख का प्रशिक्षण भी करवाया जा रहा है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस धाकड़ ने बताया कि कुछ सालों पहले तक खेती सिर्फ परंपरागत तरीकों से ही करने का चलन था, लेकिन आधुनिकता के इस दौर में खेती में यंत्रों का उपयोग बढ़ गया है। किसान यंत्रों की मदद से ही खेती का अधिकांश कार्य करते हैं, जिससे कृषि में कम समय व कम लागत में उत्पादन ज्यादा लिया जाने लगा है। कृषि यंत्रों के बढ़ते चलन के साथ ही उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने के लिए केवीके में प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय कृषि मशीनरी परीक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान बुधनी के प्रशिक्षण अधिकारी पार्थ लोध एवं आनंद यहां पर आए हैं। पांच दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान बुधवार को उन्होंने पावर टिलर सहित अन्य उपकरणों की जानकारी दे रहे हैं।

लागत होगी कम

प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षण अधिकारी पार्थ ने किसानों को ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, रोटावेटर, पावर टिलर सहित अन्य उपकरणों के उपयोग करने, देखरेख, आयल कब बदलने सहित अन्य तरह की रोचक जानकारियां दी गई। प्रशिक्षण केक दोरान बताया गया कि यदि यह छोटी छोटी सावधानी नहीं रखी जाए तो उपकरण की उम्र कम हो जाती है। जो उपकरण मानों दस हजार घंटे तक चलता है वह उसके पहले ही पूरी तरह खराब हो जाता है। वहीं समय समय पर उचित देखरेख की जाए तो यंत्र में होने वाली खराबी की भी संभावना ना के बराबर रहती है। जिससे किसानों को अतिरिक्त खर्च नहीं होता है। प्रशिक्षण में कृषि वैज्ञानिक डॉ. धाकड़ ने किसानों को तकनीकी जानकारियां दी। इस दौरान किसानों द्वारा कई प्रशन भी पूछे गए, जिनका उन्होंने जवाब दिया।

 

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स्रोत: Nai Dunia