कीट से बचने के कृषि विज्ञानियों ने बताए उपाए

September 30 2020

जिले में बारिश के बाद तेज धूप वाले मौसम में कम अवधि में पोंचा दाना व बदरंग बालियों की समस्या अनेक स्थानों पर देखने में आ रही है। कीट से बचने कृषि विज्ञानियों ने उपाए बताए।

कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ. प्रेमशंकर तिवारी ने बताया कि पेनीकल माइट की वजह से धान की बहुत सी किस्में जैसे राजेश्वरी, महामाया आदि में पोंचा दाना व बदरंग बालियों की समस्या उत्पन्न हो रही है। मुंगेली जिले के प्रमुख किसान एवं कृषि के विशेष जानकार आनंद मिश्रा व कृषि विज्ञान केंद्र मुंगेली के विशेषज्ञों ने खेतों में निरीक्षण कर धान के फसल की इस समस्या के कारण का पता किया। डॉ. तिवारी ने बताया कि पेनीकल माइट एक सूक्ष्म जीव है जो की सामान्य रूप से आंखों से दिखाई नहीं देते है। इन्हें जूम लेंस की मदद से ही देखा जा सकता है। यह जीव सूक्ष्म होते हैं। तथा प्लांट शीथ के नीचे काफी संख्या में रहते है और पौधों की बालियों से रस चूसते हैं। इससे इनमें दाना नहीं भरता है। इससे प्रभावित हिस्से में भूरा धब्बा जैसा लक्षण दिखाई देता है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के टीम ने किसानों के खेतों का निरीक्षण किया। इस दौरान इस समस्या को गंभीरता से लिया और प्रमुख वजह जलवायु में आ रहे परिवर्तन को बताया। डॉ. तिवारी ने किसानों को सुझाव देते हुए बताया कि कीट प्रकोप के शुरूआती अवस्था में ही डाइकोफाल 18.5 प्रतिशत व प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत पांच मिली व एक मिली प्रति लीटर पानी में या प्रोपेनोफोस 50 प्रतिशत व प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत क्रमशः दो मिली व एक मिली प्रति लीटर पानी की दर से 200 लीटर घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करना है। मृदा विज्ञानी सत्येंद्र ने बताया कि उमस भरे वातावरण में इस जीव की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है। इस दौरान विशेषज्ञों ने किसानों को परामर्श भी दिया।

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: Nai Dunia