कपास में गुलाबी इल्ली की समस्या पर शुरू से ध्यान देने की जरूरत

August 28 2020

कपास की उभरती हुई समस्या गुलाबी इल्ली एवं उसके प्रबंधन को लेकर जिले के सभी विकासखंडों के कृषि विभाग के मैदानी अमले के साथ एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित हुआ। प्रशिक्षण में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कपास अनुसंधान केंद्र खंडवा सतीश परसाई ने पॉवर पांइट प्रजेंटेशन के माध्यम से विस्तृत मार्ग दर्शन दिया। उन्होंने कपास में गुलाबी इल्ली के कारणों को विस्तार से बताते हुए कहा कि बीटी कपास बीज के प्रत्येक पैकेट के साथ एक नान बीटी का पैकेट भी आता है। इसकी 5 कतारें मुख्य फसल के चारों ओर लगाया जाना आवश्यक है, लेकिन कपास उत्पादक किसान इसे आरंभ से ही नही लगा रहे है। इस कारण गुलाबी इल्ली में प्रतिरोधकता विकसित हो गई है। यह इस कीट दुबारा आने  का मुख्य कारण है। वर्ष भर क्षेत्र में कपास की उपलब्धता, बीटी कपास की सैकड़ों जातियों की उपलब्धता जिनमें अलग-अलग समय पर फलन होता है, ये अन्य कारणों में सम्मिलित है। इसी वजह से कीट को वर्ष भर पोषण मिलता है और वह क्षेत्र में पुनः नई समस्या बनकर उभर रहा है।

कपास में फूल आते  ही प्रति एकड़ खेत में चार फीरोमोन प्रपंच लगाएं

श्री परसाई ने मैदानी अमले से कहा कि वे कपास में फूल आने के साथ ही खेत में प्रति एकड़ चार फीरोमोन प्रपंच लगाएं। इनमें प्रतिदिन एकत्रित होने वाली वयस्क पंखियो का रिकार्ड रखे। जैसी ही खेत में प्रति प्रपंच आठ या अधिक पंखियां आने लगे तब खेत से बिना किसी भेदभाव के दस हरे घेंटो का चयन करें। इन हरे घेंटो में इल्लियों की उपस्थिति को देखे। यदि औसत रूप से एक या अधिक घेंटो में कीट प्रकोप है तब कीटनाशको का उपयोग आरंभ करे। प्रारंभ में प्रोफेनोफास या थायडिओकार्ब या क्यूनालफास जैसे कम विषैले कीटनाशको में से किसी एक का चुनाव कर उपयोग करे, माह नवंबर में अधिकतम फलन एवं कीट प्रकोप की स्थिति में ही लेम्डा सायहेलोथ्रिन या एमामेक्टिन बेन्जोएट या क्लोरानट्रिनिपाल था इंडाकार्ब जैसे अधिक विषैले कीटनाशको को उपयोग करे। उन्होंने अपील की कीटनाशकों को अनावश्यक मिलान से बचे, एक ही कीटनाशक का बार-बार उपयोग न करे।

गुलाबी इल्ली की समस्या पर हमें आरंभ से ध्यान देने की आवश्यकता

अपर कलेक्टर श्री एमएल कनेल ने कहा की गुलाबी इल्ली की समस्या पर हमें आरंभ से ध्यान देने की आवश्यकता है। मैदान अमला किसानों से जीवंत संपर्क रख इस कीट का सामायिक प्रबंधन कर कपास उत्पादन में सहयोग करें। कृषि उप संचालक एमएल चौहान ने प्रशिक्षण के उद्देश्य और रूपरेखा को बताया। उन्होंने मैदानी अमले को निर्देशित करते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण में प्राप्त जानकारी को अपने-अपने क्षेत्र के किसानों को अवश्य बताएं। प्रशिक्षण में अनुसंधान सह संचालक डॉ. एके खिरे, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ वायके जैन एवं कृषि सहायक संचालक आरएस बड़ोले उपस्थित रहे।

 

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स्रोत: krishak Jagat