अब गन्ने की सूखी पत्तियों से बनेगी जैविक खाद, बढ़ेगी उर्वरकता शक्ति

December 08 2020

तराई में गन्ने की पत्तियों (पताई) को खेत में ही जलाने का पुराना चलन है। इससे न सिर्फ फसली उत्पादन गिरता है, बल्कि जमीन की उर्वरा शक्ति भी दिनोंदिन गिर जाती है। एनजीटी के निर्देश के बाद गत वर्ष से खेतों में फसलों के अवशेष जलाने पर प्रतिबंध है। नई वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर किसान गन्ने की सूखी पत्तियों को जलाने के बजाय इसका इस्तेमाल अब जैविक खाद बनाने में कर सकते हैं।

गन्ना विभाग ने फसल अवशेष प्रबंधन से उत्पादकता में वृद्धि के साथ प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की पहल शुरू की है। गन्ना किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि वह गन्ने की सूखी पत्ती जलाने की बजाय उसका उपयोग भूमि में ही उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए करें। इसके लिए गन्ना विभाग की ओर से जिले की चार सहकारी गन्ना एवं दो चीनी मिल समितियों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गई है। इसमें प्रत्येक गन्ना समिति को दो ट्रेस मल्चर मशीनें और एक रैटून मैनेजमेंट डिवाइस (आरएमडी) उपलब्ध कराए गए हैं। इस तरह से मेरठ की छह गन्ना समितियों में कुल 12 ट्रेस मल्चर मशीनें और छह रैटून मैनेजमेंट डिवाइस उपलब्ध कराई गई हैं। 

किसानों को प्रति घंटा किराये के हिसाब पर मिलेंगी मशीनें

जनपद में एक लाख से अधिक गन्ना किसान हैं, जिसमें अधिकतर लघु और सीमांत किसान हैं। इन सभी किसानों के लिए यह मशीनें खरीद पाना असंभव है। इसके पीछे कारण है कि यह ट्रेस मल्चर मशीनें काफी महंगी हैं और इनकी कीमत ढाई लाख रुपये से अधिक है। ऐसे में गन्ना विभाग ने समितियों को फार्म मशीनरी बैंक स्थापित कर किसानों को यह मशीनें किराये पर देने की व्यवस्था बनाई है। प्रत्येक यंत्र का प्रति घंटा किराया भी निर्धारित किया गया है।

इस तरह से बनेगी खाद, बढ़ेगी उर्वरा शक्ति

ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक रामभद्र द्विवेदी के मुताबिक, गन्ना काटने के बाद ट्रेस मल्चर मशीन और रैटून मैनेजमेंट डिवाइस के प्रयोग से खेत में पड़ी सूखी पत्तियों (पताई) को टुकड़ों में काटकर भूमि में मिला दिया जाता है, जो बहुत जल्दी सड़कर खाद के रूप में बदल जाती हैं। इस विधि को ट्रेस मल्चिंग कहते हैं। इससे भूमि में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा भी बढ़ती है, जिससे उसकी उर्वरा क्षमता में वृद्धि होकर अधिक उपज प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि ट्रेस मल्चिंग के कारण फसल में खरपतवार नहीं होते और पानी की आवश्यकता भी कम पड़ती है। वहीं सूखी पत्ती जलाने से होने वाले वातावरणीय प्रदूषण से भी बचाव होगा।

शासन के निर्देशानुसार फसल अवशेष प्रबंधन के तहत जिले की गन्ना समितियों में फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किए गए हैं। प्रत्येक समिति में दो-दो मल्चर मशीन और एक-एक रैटून मैनेजमेंट डिवाइस उपलब्ध है। यह किसानों को निर्धारित किराए पर दी जाएगी। इसको लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। - जितेंद्र कुमार मिश्र, जिला गन्ना अधिकारी

किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन की दी जानकारी

डीएम पुलकित खरे के निर्देश पर रविवार को गन्ना विभाग द्वारा पूरे जनपद में गन्ने की पताई न जलाने और फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया। इसमें जिला गन्ना अधिकारी जितेंद्र कुमार मिश्र के अलावा ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक रामभद्र द्विवेदी समेत सभी एससीडीआई, गन्ना सुपरवाइजर और सभी चारों चीनी मिलों के प्रसार अधिकारियों ने अपने-अपने कार्यक्षेत्र के गांवों में गोष्ठियां कर अवशेष फसल प्रबंधन के बारे में जानकारियां दीं। अधिकारियों ने पताई के जलाने से होने वाले नुकसान और फसल अवशेष प्रबंधन से होने वाले फायदों के बारे में विस्तार से बताया। जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर रविवार को पूरे जनपद में अभियान चलाकर किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति जागरूक किया गया।

 

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स्रोत: Amar Ujala