2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में गेहूं का योगदान

September 22 2020

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान , क्षेत्रीय केंद्र , इंदौर द्वारा जारी प्रसार पत्र में वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में गेहूं का योगदान है. संस्थान ने इसके लिए अन्य उपाय सुझाते हुए सात सूत्रीय कार्यक्रम प्रस्तुत किया है, जिसे करने से इस लक्ष्य को पाया जा सकता है।

भा.कृ .अ.सं द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्राम्भ किए गए हैं, जिनमें प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ,फसल बीमा योजना ,मृदा स्वास्थ्य कार्ड ,ई- मंडी आदि शामिल हैं .इसके अलावा लक्ष्य प्राप्ति के लिए सरकारी और निजी कृषि क्षेत्र में निरंतर निवेश और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के साथ -साथ रोज़गार के अन्य साधन उपलब्ध कराने , सहयोगी कृषि (किसान समूहों ) को बढ़ावा देने , कृषि में नवोन्मेषी शोध और शुष्क खेती की तकनीकों को बड़े पैमाने पर अपनाने का सुझाव दिया गया है.इसके अलावा यह भी कहा गया है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी किए जाने के लिए कृषि क्षेत्र को उदार बनाना होगा . इसमें लघु कृषि व्यवसाय को बढ़ावा देने में सफल उत्पादकों के संगठन और फसल उत्पादक समितियां बड़ी भूमिका निभा सकती है।

बेहतर दाम , उचित विपणन व्यवस्था : उल्लेखनीय है कि हमारे देश में कुल जोत का 70 % हिस्सा लघु एवं सीमांत कृषकों के पास है.इसलिए सामूहिक कृषि ही छोटे और सीमांत किसानों को जोड़े रखने और सामुदायिक सुरक्षा का बेहतर विकल्प है . वर्तमान में आदानों की कीमतों में वृद्धि , प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृत्ति , यंत्रीकरण की कमी एवं समर्थन मूल्य में अपेक्षाकृत वृद्धि नहीं होना किसानों की आय दोगुनी करने में बाधक है. इसलिए यदि किसानों की आय दोगुनी करनी है, तो आदान लागत में कमी ,उत्पादकता में वृद्धि ,क्षेत्र विस्तार कृषि विविधीकरण , कटाई बाद फसल नुकसान में कमी , बेहतर मूल्य और उचित विपणन व्यवस्था करनी होगी।

सात सूत्रीय कार्यक्रम : 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए निम्नांकित सात सूत्रीय कार्यक्रम तय किया गया है -1 फसल उत्पादकता में सुधार 2 पशुधन उत्पादकता में सुधार 3 संसाधन उपयोग दक्षता (लागत, बचत और स्थिरता ) 4 फसल सघनता में वृद्धि 5 अधिक मूल्य वाली फसलों के माध्यम से विविधतता 6 किसानों द्वारा प्राप्त वास्तविक मूल्यों में सुधार और 7 कृषि से गैर कृषि कार्यों में बदलाव के कार्यों को तीव्र गति से करने की ज़रूरत बताई गई है।

 

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स्रोत: Krishak Jagat