किसानों को खर्चीले रासायनिक कीटनाशकों से मिली मुक्ति

November 11 2022

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, इस कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में किसानों से गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। सरकार द्वारा खरीदे गए गौमूत्र से फसलों में कीट नियंत्रक और वृद्धि के लिए ब्रह्मास्त्र और जीवामृत उत्पाद तैयार किया जा रहा है, जिससे किसानों को खर्चीले रासायनिक कीटनाशकों से मुक्ति मिल रही है, और वे जैव कीटनाशकों एवं वृद्धि वर्धक का उपयोग कर लाभन्वित हो रहे है।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जांजगीर-चांपा जिला 9 हजार 2 सौ 28 लीटर गौमूत्र खरीदी के साथ प्रदेश में प्रथम स्थान पर है, बिलासपुर 8 हजार 3 सौ 96 लीटर खरीदी के साथ दूसरे और बलरामपुर 6 हजार 6 सौ 57 लीटर गौमूत्र खरीदी के साथ तीसरे स्थान पर है।
ब्रह्मास्त्र और जीवामृत उत्पाद का उपयोग करने वाले अकलतरा विकासखंड के ग्राम तिलई निवासी किसान देवराज कुर्मी ने बताया कि उसके पास 5 एकड़ कृषि योग्य कृषि भूमि है जिसमें वह खेती करते है। इस वर्ष में उन्होंने 5 एकड़ में धान फसल लगाई है। उन्होंने बताया कि अपने 3 एकड़ धान फसल में 3 बार 15-15 दिन के अंतराल में कीट नियंत्रण हेतु जैव कीटनाशक ब्रम्हास्त्र का छिड़काव किया है। इससे उन्होंने कीटों पर प्रभावी नियंत्रण पाया है तथा उनके फसल का स्वास्थ्य बहुत अच्छा है।
उन्होंने बताया कि पूर्व में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग कर प्रति एकड़ 3 से 4 हजार रूपए लगभग खर्च आता था तथा रासायनिक दवाओं का भी दुष्प्रभाव भी होता था। लेकिन अब ब्रम्हास्त्र जैव कीटनाशक गौठानों के माध्यम से 50 रूपए प्रति लीटर खरीदकर कीट नियंत्रक के लिए खर्च भी कम आ रहा है। जिससे रासायनिक दवाओं की अपेक्षा फसल सुरक्षा लागत में बहुत कमी आयी है।
ब्रम्हास्त्र जैव कीटनाशक हानि रहित है तथा इसका लंबे समय तक फसल पर प्रभाव बना रहता है एवं रासायनिक दवाओं की अपेक्षा फसल एवं पर्यावरण पर दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है तथा स्थानीय तौर पर असानी से उपलब्ध है। इससे फसल सुरक्षा में समय पर प्रभावी नियंत्रण पाने में सफलता मिली है।
जीवामृत (वृद्धिवर्धक) से फसलों की हो रही है अच्छी बढ़वार
इसी तरह अकलतरा विकासखंड के ग्राम तिलई के किसान खिलेंद्र कौशिक ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने 4.50 एकड़ में धान फसल लगाया है। जिसमें 1 एकड़ में गौमूत्र से तैयार वृद्धिवर्धक का उपयोग किया है। इससे उनके धान फसल का स्वास्थ्य अच्छा है। पौधों में बढ़वार व कंसो की संख्या अन्य वर्षों की अपेक्षा अधिक है। इससे रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव से बचाव एवं भूस्वास्थ्य सुधार के साथ-साथ भूमि में जीवांश में वृद्धि होने से उत्पादन लागत में कमी आयी है तथा फसल स्वास्थ्य अच्छा होने के साथ-साथ लगातार स्थिर उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने की अच्छी संभावना है।
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स्रोत:kisan Samadhan