इस राज्य ने साबित कर दिया.गोबर-गौमूत्र बेचकर भी कमा सकते हैं करोड़ों

November 10 2022

छत्तीसगढ़ को सिर्फ धान का कटोरा के नाम से ही जानते थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों में इस राज्य ने पूरी दुनिया को गोबर और गौमूत्र से कमाई का मंत्र सिखा दिया है. अब यहां के पशुपालक, महिलायें, किसान और गौशालाएं गोबर-गौमूत्र बेचकर करोड़ों की आमदनी ले रहे हैं. ये मुमकिन हुआ है गौधन न्याय योजना से. हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोबर विक्रेताओं, पशुपालकों, ग्रामीणों, महिलाओं और गौठान समितियों के खाते में 5 करोड़ 35 लाख रुपए की राशि ट्रांसफर की है. ताजा रिपोर्ट्स बताती हैं कि छत्तीसगढ़ के गौठानों में 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक 2.35 लाख क्विंटल गोबर खरीदा गया, जिसके लिए राज्य सरकार ने 4.69 करोड़ रुपये का ऑनलाइन भुगतान किया है.
महिला समूहों ने कमाए 70 लाख
मीडिया रिपोर्ट्स के ​मुताबिक, छत्तीसगढ़ के गौठानों से अब तक 76 हजार 280 लीटर गौमूत्र खरीदा गया है. इससे 43 हजार लीटर ​ब्रह्मास्त्र और जीवामृत तैयार किया गया है, जिसे किसानों को उचित दरों पर बेचा जा रहा है. एक तरह से देखा जाए तो गोबर और गौमूत्र से जैविक खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है. इन गौठानों में महिलायें भी जैविक खाद, कंपोस्ट और गौमूत्र से कीटनाशक तक बना रही है. इसकी एवज में गौठान समितियों के खाते में 39 लाख रुपये और महिला समूहों के खाते में 27 लाख रुपये की धनराशि भेजी गई है. यहां गोबर और गौमूत्र से बने जैविक उत्पादों को बेचकर 15 लाख रुपये की कमाई हो चुकी है
गोबर विक्रेताओं को मिला भुगतान
छत्तीसगढ़ के कई जिलों में गौठान अब आजीविका का जरिया बनते जा रहे हैं. यहां खेती के लिए जैविक खाद, उर्वरकों और कीटनाशकों से लेकर कंपोस्ट तक तैयार किया जा रहे हैं. इस कड़ी में गोबर विक्रेताओं ने भी अहम रोल अदा किया है. रिपोर्ट्स के ​मुताबिक 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक खरीदे गये गोबर के लिए गोबर विक्रेताओं को 28 लाख 84 हजार 903 रुपये सीधा बैंक खाते में ट्रांसफर किए हैं. वहीं गोबर खरीदने के लिए गौठानों को भी 50 फीसदी भुगतान किया गया है.
रबी सीजन में होगी जैविक खेती
गोबर-गौमूत्र की खरीद-बिक्री का ये कारोबार ही छत्तीसगढ़ के ग्रामीण, किसान, महिला और गौठान समितियों को आत्मनिर्भर बना रहा है. हाल ही में छत्तीसगढ़ के सीएम ने भी गौठानों में बने कंपोस्ट, खाद, जीवामृत और ​ब्रह्मास्त्र को रबी फसलों की खेती में इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं