पूसा ने बनाई धान की खास किस्म, 115 दिनों में हो जाती है तैयार, पढ़ें IARI के डायरेक्टर डॉ. एके सिंह का साक्षात्कार

February 25 2021

इस साल पूसा किसान मेले में किसानों के लिए क्या विशेष रहने वाला है?

उत्तर- इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएआरआई या पूसा) के वैज्ञानिकों द्वारा हर वर्ष फलों, फूलों, सब्जियों और विभिन्न फसलों की नई-नई किस्मों का विकास किया जाता है। हमारी कोशिश होती है कि इन नई किस्मों से प्रति हेक्टेयर फसलों की उपज बढ़ाई जा सके, जिससे किसानों की लागत कम हो और उन्हें ज्यादा से ज्यादा आर्थिक लाभ मिल सके। इन नई किस्मों को ही हम पूसा किसान मेले में किसानों के लिए प्रदर्शित करते हैं। किसान भाई इस मेले से इन फसलों के नए बीज या पौध ले सकते हैं और अपनी फसलों की पैदावार सुधार सकते हैं। 

इस वर्ष धान की नई किस्म पूसा बासमती 1692 किसानों के लिए विशेष रहेगी। यह फसल केवल 115 दिनों में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर ज्यादा उपज के कारण इससे किसानों को विशेष लाभ होगा। इस धान में टूटन कम होती है, जिससे ज्यादा मात्रा में खड़ा चावल निकलेगा। इससे मिलों को भी लाभ होगा। जल्दी ही तैयार होने के कारण किसान शेष समय में उसी खेत में अन्य उपज पैदाकर ज्यादा लाभ कमा सकते हैं।

इसके अलावा सरसों की एक नई किस्म विकसित की गई है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से ज्यादा लाभप्रद है। यह प्रति हेक्टेयर ज्यादा उपज भी देगी। बाजरा, मक्का के आटे को आसानी से रोटी बनाने की विधि विकसित की गई है। पराली हर साल एक बड़ी समस्या बन जाती है। लेकिन इन्हें 25 दिनों के अंदर खेतों में ही खत्म करने की विधि विकसित की गई है। 

चने की एक विशेष प्रजाति विकसित की गई है। इसमें चने में लगने वाला विशेष उकठा रोग नहीं लगेगा और उत्पादन अच्छा होगा। ये सभी चीजें किसान मेले में किसानों के लिए उपलब्ध रहेंगी। इसके अलावा 32 विभिन्न प्रकार की नई फलों, फूलों और फसलों की नई किस्में उपलब्ध होंगी। कई नई मशीनें भी मेले में किसान भाइयों के लिए उपलब्ध कराई गई हैं।

क्या महिलाओं के लिए कोई विशेष योजना रखी गई है?

उत्तर- हमारी बहनें किसान भाइयों के साथ पूरी मेहनत कर खेती में अपना योगदान देती रही हैं। कृषि में उन्हें कैसे ज्यादा सक्षम बनाया जाए, इसके लिए मेले में एक विशेष सेशन रखा गया है। इसके अलावा इस साल पूसा किसान मेले में 35 किसानों को विशेष तौर पर सम्मानित किया जाएगा, तो पांच किसानों को विशेष पुरस्कार दिया जाएगा। इन किसानों ने कोविड काल में भी किसानी को एक नया आयाम दिया है। इनका चयन पूरे देश के किसानों के बीच में से किया गया है।

पूरे देश के किसान इस समय कृषि कानूनों को लेकर आंदोलित हैं। इस पर आप क्या कहेंगे?

उत्तर- किसान हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उनकी शंकाओं का समाधान किया जाना चाहिए। इसे देखते हुए ही हमने मेले में एक विशेष सेशन रखा है। किसान भाई इस दौरान कृषि कानूनों से संबंधित अपनी चिंताओं को विशेषज्ञों से समझ सकते हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि किसानों की हर शंकाओं का समाधान किया जाए। इस साल पूसा किसान मेले की थीम भी आत्मनिर्भर किसान रखी गई है। हमारी कोशिश है कि किसान अपने संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करते हुए आर्थिक तौर पर पूरी तरह आत्मनिर्भर बन सके।

आप देश के शीर्ष कृषि वैज्ञानिक हैं और पूसा जैसे संस्थान का नेतृत्व कर रहे हैं। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या किया जाना चाहिए?

उत्तर- मैं राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं और मैं कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं कर सकता। लेकिन एक विशेषज्ञ के तौर पर मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि किसानों को नवीनतम तकनीकी का उपयोग करना चाहिए। इससे खेती की लागत कम आएगी, इससे उत्पादन और लाभ बढ़ेगा। परंपरागत खेती करने की बजाय एक कुशल व्यापारी की तरह यह देखें कि इस समय किस चीज का उत्पादन हमें आर्थिक तौर पर ज्यादा लाभ दे सकता है। मांग को देखते हुए खेती करने से ज्यादा बेहतर लाभ प्राप्त किया जा सकता है। 

किसान भाइयों को खेती के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन जैसे आसानी से चल सकने वाले उपाय भी आजमाने चाहिए। इससे परंपरागत खेती की तुलना में बेहतर आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है। गेहूं-धान की परंपरागत खेती की तुलना में फूलों, सब्जियों की खेती उन्हें ज्यादा सक्षम बना सकती है। सरकार और देश के वैज्ञानिक हर स्तर पर किसान भाइयों के साथ हैं।

इस साल का पूसा किसान मेला कोविड काल में आयोजित किया जा रहा है। ऐसे में किसानों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए आपने क्या तैयारियां की हैं?

उत्तर- कोरोना को देखते हुए इस साल पूसा किसान मेले को ज्यादा बड़ा रूप नहीं दिया गया है। इस साल पूर्व की अपेक्षा यह कुछ सीमित रहेगा। हमने किसानों से आग्रह किया है कि वे मेले में मास्क पहनकर ही आएं। मेले में रजिस्ट्रेशन काउंटर पर ही मास्क, सैनिटाइजेशन की व्यवस्था रहेगी। प्रतिदिन कम संख्या में किसानों से आने का आग्रह भी किया गया है। हालांकि, पूसा किसान मेले का आयोजन काफी बड़ी जगह पर किया जा रहा है, इसलिए इस दौरान शारीरिक दूरी बनाए रखने में कोई परेशानी नहीं आएगी।

 

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स्रोत: Amar Ujala