जल्द तैयार होगा देश का पहला परागण रहित बेबीकॉर्न बीज, किसानों को सस्ते दामों पर मिलेगा

February 12 2021

बेबीकॉर्न उत्पादक किसानों और इसके स्वादिष्ट एवं पोषक तत्वों से भरपूर व्यंजनों को पसंद करने वालों के लिए अच्छी खबर है। देश में प्रथम परागण रहित (मेल स्टेराइल) बेबीकॉर्न मक्का बीज बनाने में सफलता मिलने के बाद इसके ट्रायल का अंतिम वर्ष चल रहा है। यदि इस शोध में सफलता मिली तो भविष्य में बेबीकॉर्न उत्पादक किसानों को सरकारी अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से न्यूनतम दर पर बीज प्राप्त हो सकेगा। 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-पूसा नई दिल्ली व चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल ने संयुक्त रूप से अनुसंधान कर मक्का की हाइब्रिड किस्म एचएम-4 को मेल स्टेराइल में परिवर्तित किया है।

अब तक भारत में जितनी भी मक्का किस्में बेबीकार्न के लिए इस्तेमाल की जाती हैं सभी परागण वाली हैं। बेबीकॉर्न उगाने के लिए मक्का के पौधे के ऊपरी हिस्से से फूल तुड़वाने में किसानों को श्रमिक लगाने पड़ते हैं। उनका अतिरिक्त खर्च आता है। यही वजह है कि किसान मेल स्टेराइल बीज पसंद करते हैं। यह विदेशों से आयात होता है लेकिन आयातित बीज महंगा पड़ता है।

दिसंबर-जनवरी छोड़कर पूरे साल हो सकती है खेती

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-पूसा नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डा. फिरोज हुसैन ने कहा कि हाइब्रिड एचएम-4 किस्म गुणों से भरपूर है और इसमें परागण होता है। उसे बेबीकॉर्न की खेती के लिए मेल स्टेराइल में परिवर्तित किया है। मेल स्टेराइल बीज में परागण नहीं होगा और गुणवत्ता भी बनी रहेगी। बेबीकॉर्न अचार, सूप, फास्ट फूड, पिज्जा में इस्तेमाल होता है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने इसकी बर्फी भी बनाई है। मौसमी हरी सब्जियों की तरह इसमें सभी न्यूट्रेंट होते हैं। भुट्टे पर छिलका रहने से केमिकल का असर नहीं होता। दिसंबर व जनवरी छोड़कर पूरे वर्ष उत्तर भारत में इसकी खेती की जा सकती है। 

अभी आयात होता है बीज 

बेबीकॉर्न की खेती के लिए ख्याति प्राप्त पद्मश्री किसान कंवल सिंह चौहान (अटेरना गांव-सोनीपत) ने कहा कि भारत में परागण रहित बीज बनाने पर विशेष काम नहीं हुआ। अब सिजेंटा-5414 किस्म का बीज मिलता है जो विदेश से आयात हो रहा है। 600 रुपये प्रति किलो बीज मिलता है। यदि भारत में बीज उत्पादन किया जाए तो किसान को 200 रुपये किलो तक बीज मिल सकता है।

 

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स्रोत: Amar Ujala