गन्ना उगाने वाले किसान केले की खेती में आजमा रहे हाथ

February 17 2021

गन्ना मूल्य भुगतान में होने वाली देरी से परेशान किसान अब बड़े पैमाने पर केले और सहफसलों की खेती से जुड़ रहे हैं। इसके अलावा इस वर्ष गन्ने में रेड रॉट (लाल सडन रोग) बीमारी के प्रकोप से हजारों किसान प्रभावित हुए हैं, जिसकी चपेट में आकर जनपद में 2543 हेक्टेअर क्षेत्रफल में गन्ने की फसल खराब हुई है। बीमारी के चलते गन्ना विभाग ने इस वर्ष गन्ने की बुवाई न करने के निर्देश दिए हैं, जिससे करीब 10 हजार हेक्टेअर गन्ने का एरिया घटने का अनुमान है।

जनपद में कुल 4,54,136 सट्टाधारक गन्ना किसान हैं, जिसमें अब तक करीब 75 प्रतिशत किसानों ने गन्ना आपूर्ति की है। इस वर्ष 27 हजार 817 नए सट्टाधारक बने हैं। इस वर्ष गोला, पलिया, धौरहरा क्षेत्रों में गन्ने के क्षेत्र में सबसे ज्यादा कमी आने के आसार हैं। वैसे भी सरकारी तंत्र किसानों को सहफसली खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने में जुटा है तो वहीं औषधीय खेती सहित फलों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

जिला गन्ना अधिकारी ब्रजेश कुमार पटेल ने बताया कि इस वर्ष गन्ने का क्षेत्रफल घटने की पूरी संभावना है, जिसका आकलन सर्वे कराने के बाद किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि 10 हजार हेक्टेअर क्षेत्रफल कम हो सकता है। 

स्ट्राबेरी और गेंदे के फूलों की खेती दे रही ज्यादा मुनाफा 

बांकेगंज। परंपरागत गन्ने की खेती करते आ रहे किसान अब फल-फूल की खेती की ओर बढ़ने लगे हैं। कुछ जागरूक किसानों ने स्ट्राबेरी, गेंदा फूल और केले की खेती करने का बीड़ा उठाया है। एक साल के अंदर ही किसानों की मेहनत रंग लाई है। अब यह मेहनतकश किसान गन्ने की फसल के सापेक्ष इन फसलों का उत्पादन कर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं, साथ ही उन्हें आर्थिक तंगी से भी नहीं जूझना पड़ रहा है। 

स्ट्राबेरी का नाम सुनते ही मुंह में पानी आना स्वाभाविक है। खट्टे-मीठे स्वाद एवं सेहत के लिए बेहद फायदेमंद पहाड़ों की रानी स्ट्राबेरी की फसल का उत्पादन बांकेगंज के किसान कर रहे हैं। गन्ना फसल भुगतान को लेकर चीनी मिलों की मनमानी से परेशान कस्बा के किसान यदुनंदन सिंह पुजारी का जब इस फसल से से मोह भंग हुआ तो उन्होंने स्ट्राबेरी और गेंदा फूलों की खेती करने का बीड़ा उठाया और पहली फसल में ही उन्हें कामयाबी मिली। उन्होंने पहाड़ों की फसल का मैदानी इलाकों में उत्पादन कर एक अनूठी मिसाल पेश की है। साथ ही गेंदा फूल की खेती में महारथ हासिल कर कम समय में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन फसलों के उत्पादन की विधि उन्होंने बरेली के किसानों से हासिल की है। 

घर बैठे मिल जाता है भुगतान 

स्ट्राबेरी फसल में दो से ढाई लाख और गेंदा के फूलों की खेती में 20 हजार रुपये प्रति एकड़ लागत आती है। बाजार में नकद बिक्री के बाद छह माह के अंदर दोनों फसलों में तीन लाख रुपये से अधिक मुनाफा मिल जाता है। इसके अलावा केले की खेती से भी गन्ने की फसल से अधिक मुनाफा मिलने के साथ ही घर बैठे नकद भुगतान मिलता है- यदुनंदन सिंह पुजारी, किसान 

साग-सब्जी से मिल रही नकदी

गन्ने की फसल किसानों की आर्थिक रीढ़ होती है। पिछले कई सालों से चीनी मिलें गन्ने की फसल का भुगतान देने में किसानों को रुला रही हैं, जिसके चलते धीरे-धीरे किसानों का गन्ने की फसल से मोह भंग होने लगा है। अब किसान स्ट्राबेरी, फल-फूल, केला, आलू और साग-सब्जी का उत्पादन कर बाजार में बिक्री कर नकदी ले रहे हैं- अमित कुमार, किसान 

त्योहारों पर भी तंगहाल रहते हैं अन्नदाता 

गन्ना भुगतान को लेकर चीनी मिलों की मनमानी के चलते किसान होली-दिवाली जैसे त्योहारों पर भी तंगहाल रहते हैं। गन्ना भुगतान न मिलने पर जहां लोग घरों में खुशियां मनाते हैं तो वहीं किसान साहूकारों से कर्ज लेकर त्योहार की खुशियां मनाते हैं। पिछले कई सालों से किसान रंगों के त्योहार होली पर बच्चों को नए कपड़े भी नहीं दिला पा रहे हैं- मनोज कुुमार, किसान, गांव खैरताली

 

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स्रोत: Amar Ujala