सोसायटियों में खाद की किल्लत, किसान निजी दुकानों से खरीदने को मजबूर

July 05 2021

छत्तीसगढ़ में इस साल मानसून तय समय से पहले पहुंच चुका है। झमाझम बारिश होने से किसानों ने धान की बुआई इस साल 10 से 15 दिन पहले शुरू कर दी। इधर, प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक (खाद) नहीं होने के कारण किसानों के पास नई मुसीबत खड़ी हो गई है। मजबूरी में किसान निजी दुकानों से खरीदने को मजबूर है। सबसे ज्यादा अभी रायपुर, कवर्धा, कोंडागांव, कांकेर, दुर्ग समेत अन्य जिलों में यूरिया और डीएपी खाद का टोटा है। अभी हाल में रायपुर संभाग के कई जिलों में धान रोपाई का कार्य शुरू हो गया।

रोपाई के वक्त किसानों को यूरिया खाद की जरूरत पड़ती है। ऐसे में यूरिया खाद नहीं मिलने के कारण रोपाई का काम भी पिछड़ने लगा है। किसानों ने बताया कि सोसायटी में शासकीय दर पर उर्वरक मिलता है। ऐसे में अब निजी दुकान संचालक डीएपी खाद की शासकीय दर 1,200 प्रति बोरी है। उसे दुकानदार 1500 से अधिक मूल्य में बेच रहा है। इसी तरह एनपीके 1,185 के बदले यह भी 1,500 से अधिक मूल्य में खरीदना पड़ रहा है।

राज्य और केंद्र सरकार के खींचतान के कारण बनी स्थिति

भारतीय किसान संघ के महामंत्री नवीन शेष ने बताया कि कवर्धा जिले में सबसे ज्यादा खाद की कमी बनाई हुई। इसके अलावा कई जिले और है जहां खाद नहीं होने के कारण किसान सड़कों पर उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के खींचतान के बीच इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। रही बात किसानों की समस्या का हल जल्द ही करना चाहिए।

सोसायटियों में पर्याप्त मात्रा में खाद का स्टॉक नहीं

किसान नेता परसनाथ साहू ने बताया कि रायपुर जिले में कई सोसायटियों में उर्वरक खाद की कमी है। ऐसे में खाद की कमी के कारण धान रोपाई पिछड़ सकता है। सरकार को किसानों की मांग के अनुरूप खादों की समस्या का हल निकलना चाहिए।

प्रदेश में उर्वरक खाद की स्थिति

प्रदेश में 2,058 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां है। जहां खादों का भंडारण और वितरण किया जाता है। चालू खरीफ सीजन में इस साल लक्ष्य 72,500 मीट्रिक टन है। इसमें अभी हाल में कुल भंडारण 4,34,000 मीट्रिक टन हो चुका है। वहीं, वितरण 3,02,594 मीट्रिक टन हो चुका है। कुल भंडारण का 59.96 फीसद है। इसी तरह रायपुर में कुल 126 समितियां हैं। जहां चालू खरीफ सीजन में लक्ष्य 41,650 मीट्रिक टन है। अभी कुल भंडारण 28,126 और वितरण 20,541 मीट्रिक टन हो चुका है। कुल भंडारण का 67.53 फीसद है।

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स्रोत: Nai Dunia