वैज्ञानिकों ने किया ग्रीष्मकालीन मूँग की फसल का अवलोकन

June 22 2021

कृषि विज्ञान केन्द्र शहडोल द्वारा आदिवासी उपयोजना अंतर्गत ग्रीष्मकालीन मूँग (स्वाति) की फसल का कृषकों के खेतों में बुवाई की गई। जिनमे कीट एवं रोगों के निरीक्षण के लिए केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. मृगेंद्र सिंह, वैज्ञानिक दीपक चौहान एवं आब्जर्वर विनोद कुमार शर्मा ने ग्राम हर्राटोला, केशौरी ब्लॉक – बुढ़ार में वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी एस. बी. सिंह, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी डी. के. सिंह के साथ किसानों के खेतों का भ्रमण किया गया एवं किसानों को बताया कि जिन्होंने समय पर बुवाई की उनके खेतो में 1 बार मूँग की फलियों की तुड़ाई हो चुकी है तथा 75 प्रतिशत फली पकने पर दूसरी बार तुड़ाई करे क्यों की बारिश होने के कारण फली चिटककर दाने गिरने की संभावना ज्यादा रहती है जिससे उत्पादन भी कम होगा।

जिन किसानों ने फसल की बोनी लेट करी है वे फलियां लगते समय फली भेदक कीट लगने पर लेमडा सायलोथ्रिन 300 मि. ली. प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे फली बनाने की अवस्था में थायोफिनेट मिथाइल 250 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें साथ ही खेत में पीला मोजेक यानि पत्तियां पीली पडऩे पर पीले पडऩे वाले पौधो को खेत से उखाड़ कर बाहर जमीन में गाड़ दें जिससे खेत में पीला मोजेक बीमारी का प्रकोप कम से कम होगा।

 

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स्रोत: Krishak Jagat