मशहूर पूसा किसान मेला इस साल 25 से 27 फरवरी तक, बासमती की ये नई किस्म बदल देगी किसानों की किस्मत

February 18 2021

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI या पूसा) द्वारा हर साल आयोजित किया जाने वाला किसान मेला इस वर्ष 25 फरवरी से 27 फरवरी के बीच आयोजित किया जाएगा। संस्थान हर वर्ष अनेक फसलों और फलों की नई किस्में विकसित करता है। मेले में किसानों के लिए इन नई किस्मों के बीज उपलब्ध कराए जाते हैं। इस बार मेले में पूसा बासमती 1692 नाम की धान की नई किस्म पेश की जाएगी जो केवल 115 दिनों के बीच तैयार हो जाती है।

यह किस्म सितंबर माह तक ही पककर तैयार हो जाएगी, जिससे किसान आगे के समय में अपने खेतों में आलू-सूरजमुखी जैसी अन्य फसलों का उत्पादन भी कर सकेंगे। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि प्रति हेक्टेयर यह पांच क्विंटल ज्यादा उत्पादन देता है जो किसानों के लिए लाभकारी होगा। इस वर्ष कार्यक्रम के अतिथि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर होंगे। मेले की थीम आत्मनिर्भर भारत रखी गई है। मेले में कृषि के कई उपकरणों को भी पेश किया जाएगा।

आईएआरआई के निदेशक डॉ. एके सिंह ने बताया कि कृषि मेले के माध्यम से किसान भाइयों को विभिन्न फसलों के उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही किसान विभिन्न फसलों के बारे में तकनीकी जानकारी ले सकेंगे। मेले के दौरान एक किसान गोष्ठी का आयोजन भी किया जाएगा। इस दौरान किसान कृषि से संबंधित अपनी परेशानियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

ये बीज होंगे उपलब्ध

आईएआरआई सूत्रों के मुताबिक इस वर्ष बासमती धान की विभिन्न किस्में मेले का सबसे बड़ा आकर्षण होंगी। पूसा बासमती 1962 को किसानों के लिए बेहद लाभकारी बताया जा रहा है, जो प्रति हेक्टेयर पांच क्विंटल ज्यादा पैदावार देकर किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने का काम करेगा। इसके अलावा पूसा बासमती 1121, 1718, 1509, 1401, 1637, 1728 और कुछ अन्य किस्में पेश की जाएंगी।

कोरोना काल के कारण रहेंगे ये बदलाव

कोरोना काल के कारण इस बार मेले में कुछ बदलाव भी दिखाई पड़ेंगे। मेले के दौरान कोरोना संक्रमण को देखते हुए शारीरिक दूरी बनाए रखने और सुरक्षा संबंधी नियमों का विशेष तौर पर पालन करना होगा। इस साल होटल-धर्मशालाओं के बंद होने के कारण किसानों को रात्रि प्रवास की कोई सुविधा नहीं दी जाएगी।

मेले में फेस मास्क पहनकर आना अनिवार्य होगा। मेले में भी फेस मास्क उपलब्ध कराने की सुविधा दी जाएगी। किसान भाइयों से आपस में बातचीत कर मेले के तीनों दिन बराबर संख्या में आने का अनुरोध किया गया है, क्योंकि इस बार हर दिन सीमित संख्या में किसानों को मेले में प्रवेश दिया जाएगा।

 

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स्रोत: Amar Ujala