पीएम मोदी ने की चंदौली के जिस काले चावल की तारीफ, कुछ इस तरह शुरू हुई थी इसकी खेती

December 02 2020

देव दीपावली पर वाराणसी के दौरे पर सोमवार को आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस काले चावल की खेती का जिक्र अपने भाषण में किया और किसानों की आर्थिक सशक्तता का आधार बताया। वह आज यूपी के चंदौली की पहचान बन चुका है। काले चावल की खेती की शुरुआत ठीक तीन साल पहले भाजपा की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी के सुझाव पर प्रायोगिक तौर पर चंदौली जिले में की गई थी। आज जब पीएम मोदी ने तारीफ की तो स्थानीय किसान गदगद हो गए। 

दरअसल, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की पहल पर लगभग तीन वर्ष पहले जिले में मणिपुर की चाक हाउ (काले चावल) के बीज लाकर चंदौली जिले में खेती शुरू कराई गई। प्रशासन की पहल रंग लाई और सेहत के लिए अत्यधिक फायदेमंद काला चावल की डिमांड आस्ट्रेलिया तक पहुंच गई है। लगभग तीन वर्ष पहले केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी चंदौली दौरे पर आई। 

अधिकारियों की बैठक के दौरान उन्होंने मणिपुर में पैदा होने वाले ब्लैक राइस के बारे में बताया। कहा कि यहां की मिट्टी इसकी खेती के लिए अनुकूल है। ऐसे में यहां इसकी खेती कराई जानी चाहिए। डीएम नवनीत सिंह चहल और तत्कालीन उपकृषि निदेशक आरके सिंह को यह प्रस्ताव अच्छा लगा।

2018 में उन्होंने मेनका गांधी के सहयोग से मणिपुर से 12 सौ रुपये प्रति किलो की दर से 12 किलो चाकहाउ के बीच लाकर यहां के 12 किसानों को खेती के लिए दिया। परिणाम बेहतर मिला और किसानों की आय बढ़ाने के लिए शुरू किए गए इस प्रयोग का फायदा जिले के किसानों को मिला। अच्छी ब्रांडिंग की वजह से किसानों को काला चावल का न सिर्फ अच्छा दाम मिला, बल्कि पूरे देश में पहचान भी हुई।

यहां तक कि जिले के काले चावल की डिमांड आस्ट्रेलिया सहित विश्व के कई देशों में हुई है। इससे लगातार किसान इसकी खेती के लिए लालायित हो रहे हैं। चंदौली के किसानों के इस प्रयोग को प्रधानमंत्री ने नए कृषि कानूनों के समर्थन से जोड़ दिया है। किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं को गिनाते हुए कहा कि ब्लैक राइस को विदेशी बाजार भी मिल गया है।

पीएम ने कहा कि पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ये चावल निर्यात हुआ है। वह भी करीब साढ़े आठ सौ रुपए किलो के हिसाब से। चंदौली के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए दो साल पहले काले चावल की एक वैरायटी का प्रयोग यहां किया गया था। पिछले साल खरीफ के सीजन में करीब 400 किसानों को ये चावल उगाने के लिए दिया गया।

इन किसानों की एक समिति बनाई गई, इसके लिए मार्केट तलाश किया गया। सरकार के प्रयासों और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से किसानों को कितना लाभ हो रहा है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण चंदौली का काला चावल-ब्लैक राइस है। ये चावल चंदौली के किसानों के घरों में समृद्धि लेकर आ रहा है। तारीफ करते हुए कहा कि इस बार जिले के एक हजार किसान काला चावल की खेती कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के मुंह से तारीफ के शब्द सुनकर जिले के किसान गदगद हैं।

विशेष उत्पाद की मान्यता मिलने से बना ब्रांड, 600 क्विंटल चावल का हुआ निर्यात

चंदौली प्रशासन की पहल पर काले चावल को कलेक्टिव मार्क यानी विशेष उत्पाद की मान्यता मिली है। चंदौली कृषि उत्पाद में यह मार्क दिलाने वाला प्रदेश का इकलौता जिला है। बीते वर्ष 250 क्विंटल निर्यात आस्ट्रेलिया समेत सउदी अरब, यूएई में किया गया था। चालू सत्र में एक हजार किसानों ने 700 हेक्टेयर में इसकी खेती की है। वहीं, बीते वर्ष 800 किसानों ने 500 हेक्टेयर में काला चावल की खेती की थी।

गुणों की खान है ब्लैक राइस

मणिपुर से आया काला चावल सेहत के लिए गुणों की खान है। चंदौली से शुरू हुई ब्लैक राइस की खेती अब गाजीपुर, सोनभद्र, मीरजापुर, बलिया, मऊ व आजमगढ़ तक पहुंची है। यह मिठास लिए सुपाच्य चावल है, वहीं एंटी आक्सिडेंट यह भरपूर है। शुगर, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के लिए भी यह राम बाण है। जिले में धान की अच्छी पैदावार होती है। इससे काला चावल की पैदावार भी अच्छी हो रही है। यह पूरी तरह जैविक खाद से तैयार होता है। इससे इसकी खेती किफायती भी है।

 

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स्रोत: Amar Ujala