गुजरात के पौधों से पनपी केले की खेती, अब बिक रहा हरियाणा, पंजाब में

March 08 2021

गौतम बुद्ध की धरती कुशीनगर की अब नई पहचान केले की बागवानी बनती जा रही है। गन्ने से मोह भंग होने के बाद किसानों ने केले की खेती को तरक्की का जरिया बना लिया है। जिले में पिछले छह वर्षों में केले का रकबा डेढ़ गुना हो गया। गुजरात एवं अन्य शहरों के टिशू कल्चर पौधों से केले की खेती पनपी और अब पंजाब, हरियाणा और दिल्ली तक यहां का केला बेचा जा रहा है। उद्यान विभाग के अनुसार एक वर्ष में ही जिले में केले के रकबे में 1400 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।

जिले के खड्डा, दुदही, विशुनपुरा, तमकुही रोड आदि क्षेत्रों में केले की खेती ज्यादा हो रही है। किसान समूहों के अनुसार जिले में 9500 हेेक्टेयर क्षेत्र में केला उगाया जा रहा है। उद्यान विभाग में अनुदान प्राप्त किसानों के आकड़े हैं। प्रगतिशील किसानों की पहली पसंद केला बन गया है। जोखिम के बावजूद भी केले का रकबा तेजी से बढ़ रहा है। आंधी, तूफान, ज्यादा बारिश और बाढ़ के पानी के कारण फसल बर्बाद हो जाती है।

किसान समूह से जुड़े रमाकांत कुशवाहा के अनुसार वे प्रतिवर्ष 10-12 लाख केले के पौधे बेच रहे हैं जबकि, इसी तरह के कई हार्डनिंग सेंटर हैं। गन्ना मूल्य में भुगतान में देर होने के कारण किसानों ने वर्ष 2006-07 में हरी छाल केले की बागवानी को विकल्प बनाया। केले से किसानों की आय बढ़ रही है जबकि, स्थानीय श्रमिकों को भी खेतों में रोजगार मिल रहा है। जिले में एक जिला एक उत्पाद प्रोत्साहन की योजना में केला उत्पाद शामिल है। अब वो दिन ज्यादा दूर नहीं है कि जब केले के तने से भी किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।

किसानों की बात 

गन्ने की फसल एक साल में कट जाती थी, लेकिन एक बार रोपे गए केले से 5-6 साल तक फल प्राप्त होते हैं। एक एकड़ केले की खेती में एक से दो लाख आय होती है- प्रभुनाथ कुशवाहा, मठिया भोकरिया 

कोई प्राकृतिक आपदा न आए तो केला बहुत फायदे की खेती है। दूसरे राज्यों में कुशीनगर के केले की ज्यादा मांग हो रही है। आपदा की स्थिति में किसानों की क्षतिपूर्ति मिलनी चाहिए- राजेंन्द्र प्रताप मल्ल, दरगौली 

केला के सीजन में पंजाब, हरियाणा, गुड़गांव, दिल्ली सहित अन्य शहरों के व्यापारी और उनकी मध्यस्थता करने वाले लोग जिले में डेरा डाल लेते हैं। लोकल मंडियों से भी बिक्री होती है- विशुनदेव राय, दुदही 

जिले के प्रगतिशील किसान विभिन्न कम्पनियों के टिशू कल्चर के महंगे पौधे लगाते हैं। ये पौधे और इनके फल एक समान होते हैं। अहमदाबाद, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, बंगलुरू के पौधे मंगाए जाते हैं- प्रहलाद मौर्य,खड्डा 

जिले में केले का रकबा लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2018-19 में बांध टूटने के कारण बाढ़ की पानी से ज्यादा फसल बर्बाद हुई थी। इस कारण रकबा भी कम हुआ था। वर्ष 2019-20 में फिर केले की खेती करने वाले किसान बढ़ गए- रामायन सिंह, प्रभारी जिला उद्यान अधिकारी

 

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स्रोत: Amar Ujala