कृषि विभाग किसानों को दे रहा फसल चक्र अपनाने की सलाह

July 05 2021

डौंडी क्षेत्र में नाइट्रोजन के अंधाधुंध उपयोग से खेतों की क्षीण हो रही उर्वरा शक्ति बचाने के लिए कृषि विभाग किसानों को न सिर्फ जैविक खेती करने के लिए प्रेरित कर रहा है बल्कि फसल चक्र अपनाने पर भी जोर दिया जा रहा है।

जिला कृषि अधिकारी नागेश्वर लाल पांडे ने बताया कि कृषि विभाग इसके तहत किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अभियान चलाएगा। खेतों की उर्वरा शक्ति व सभी पोषक तत्वों को बनाए रखने के लिए वर्मी कंपोस्ट को प्रोत्साहित करना होगा। इसके अलावा यंत्रीकरण के तहत कृषि यंत्र व सिंचाई उपकरण भी अनुदानित दर पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

कंपोस्ट खाद के उपयोग पर बल

डौंडी क्षेत्र के किसान अब पारंपरिक खेती पर ही निर्भर नहीं रहेंगे, बल्कि उनकी खेतों में सालों भर फसल लहलहाएंगी। सरकार के जैविक प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत उनकी आमदनी भी बढ़ेगी। वर्मी कंपोस्ट, बायोगैस, कृषि उपकरण, पाली हाउस सहित अन्य उपकरण उपलब्ध करा उनकी खेती को समृद्घ बनाने में कृषि विभाग जुट गया है। जैविक विधि से खेती के लिए किसानों को अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है। विभाग फसल चक्र अपनाने सहित जैविक कीटनाशकों के उपयोग व बीजों के उपचार के लिए भी उन्हें सहायता उपलब्ध कराएगा। हर खेत में पानी पहुंचे व कम पानी में जयादा सिंचाई हो इसकी भी व्यवस्था की जा रही है। ताकि फल, फूल, सब्जी, दलहन-तेलहन सहित अन्य फसलों से उनकी आमदनी बढ़ाई जा सके।

फसल चक्र अपनाने पर जोर

कृषि विभाग किसानों को परंपरागत खेती के साथ फसल चक्र अपनाने पर भी जोर दे रहा है। जिससे अलग-अलग तरह की फसलों को तय समय में तय क्रम के आधार पर लगाया जा सके। चक्रिय खेती से भूमि की जैविक, रसायनिक व भौतिक दशाओं में संतुलन आता है, तथा फसलों की गुणवत्ता व पोषकता भरपूर मात्रा में मिलती है। फसल चक्र में साल व दो साल में उगाई जाने वाली फसलों को आपस में बदला जाता है, जिससे जमीन से कीटों व बीमारियों का चक्र भी आसानी से टूट जाता है। इसके अलावा मिट्टी में कार्बन तत्वों की मात्रा भी बढ़ जाती है। जिससे बिना किसी रसायन उर्वरक के उपयोग से अच्छी फसल उगाई जा सकेगी।

जिला कृषि अधिकारी नागेश्वर लाल पांडे ने कहा कि अधिक नाइट्रोजन उपयोग से खेत ऊसर हो जाता है। इसलिए पूरी तरह संभव न हो तो कम से कम अपने खाने के लिए किसान अवश्य जैविक खेती करें। फसल चक्र अपनाने की भी सलाह दी जा रही है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहती है, जिससे पोषक तत्व लंबे समय तक मौजूद रहता है। फसल चक्र अपनाने से खरपतवार व कीट व बीमारियों का असर कम होने से खरपतवारनाशी व पेस्टीसाइड पर खर्च कम किया जा सकता है।

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स्रोत: Nai Dunia