कर्ज में दबा किसान ज्यादा परेशान, खेती से फायदे की उम्मीद में उतरे सड़क पर

December 03 2020

नेशनल हाईवे 44 के सिंघु बॉर्डर पर किसान पिछले छह दिनों से सड़क पर बैठे हुए हैं। इस ठंड में उनके दिन-रात सड़क पर बीत रहे हैं। क्योंकि किसानों को उम्मीद के अनुसार फसलों से मुनाफा नहीं मिल रहा है और उनको मजबूरी में कर्ज लेना पड़ रहा है। फसलों के अच्छे दाम मिले तो कर्ज उतारा जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

सिंघु बॉर्डर पर काफी ऐसे ही कम जमीन वाले किसान हैं, जिन्होंने कर्ज लिया हुआ है और खेती से वह कर्ज भी नहीं उतर रहा है। उनको लगता है कि जिस तरह के हालात हैं, उससे वह और भी कर्जदार हो जाएंगे। बस वह एक ही उम्मीद के साथ सड़क पर बैठे हैं कि सरकार उनके हक का फैसला लेगी और खेती से कुछ फायदा होगा।

सिंघु बॉर्डर पर जहां दिन की शुरुआत के साथ ही धरना शुरू हो जाता है और किसान संगठनों के लोग अपनी बातों को रखते हैं। किसानों को बताया जाता है कि कृषि कानूनों से किस तरह से नुकसान है, सरकार का रुख क्या है और उनको किस तरह से आगे आंदोलन चलाना है। नेशनल हाईवे पर डेरा डाले हुए काफी किसान भी दिन की शुरुआत के साथ ही धरने में शामिल हो जाते हैं।

लेकिन इनसे अलग नेशनल हाईवे पर पिछले छह दिन से सड़क पर डेरा डालने वाले ऐसे भी किसान हैं जो न धरनास्थल पर जाते हैं और न उनको किसी तरह के मनोरंजन की जरूरत है। बस वह चाहते हैं कि सरकार उनकी फसलों के अच्छे दाम दिला दे, जिससे खेती में मुनाफा हो सके और वह अपना कर्ज उतार सके। उनके पास जमीन भी 5 एकड़ से कम है। किसान कहते हैं कि उसके सहारे ही घर का गुजारा होता है और जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है, उस तरह से फसलों के दाम नहीं बढ़ रहे है। वह इस उम्मीद के साथ ही आंदोलन में शामिल हुए है और उनकी नजर केवल सरकार के फैसले पर रहती है।

बोले किसान...

मेरे पास केवल दो एकड़ जमीन है। सरकार ने यह कानून बनाए हैं, हम उनको रद्द कराने के लिए आए हैं। पहले ही खेती से केवल परिवार का गुजारा हो रहा है और पांच लाख रुपये कर्ज लिया था। यह सोचा था कि खेती से मुनाफा होगा तो धीरे-धीरे कर्ज चुका देंगे। लेकिन पिछले कुछ समय से फसलों के दाम ऐसे नहीं मिल रहे है, जिससे परिवार का गुजारा भी कर सके और कर्ज भी लौटा सके। बस उम्मीद है कि सरकार कुछ फैसला लेगी कि फसलों के अच्छे दाम मिलेंगे और कर्ज उतार सकेंगे- पवन कुमार, पटियाला

सहकारी बैंक से सात लाख रुपये का कर्ज लिया था। खेती से कर्ज नहीं चुका पा रहा हूं, क्योंकि इतनी आमदनी ही नहीं हो रही है। एक एकड़ जमीन है और उससे ही परिवार का गुजारा करता हूं। बैंक वाले कई बार कार्रवाई की बात कह चुके है, लेकिन अभी कर्ज वापस लौटाने की कोई उम्मीद ही नहीं दिख रही है। मैं पिछले छह दिनों से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग लेकर सिंघु बॉर्डर पर सड़क पर रह रहा हूं- ईश्वर,गोहाना सोनीपत

मेरे परिवार में तीन एकड़ जमीन है। फसल के भाव पूरे नहीं मिल रहे है और महंगाई बढ़ती जा रही है। हमारी फसल कम रुपये में खरीदी जाती है। सरकार को हमारी फसलों की खरीद मुनाफे के साथ करानी चाहिए, जिससे हम अपना कर्ज भी उतार सके। कर्ज उतारने में काफी परेशानी हो रही है- दरमेल सिंह, पंजाब

यहां जितने भी किसान आंदोलन में शामिल हुए हैं, उनमें कम जोत वाले किसान ज्यादा हैं। क्योंकि सबसे ज्यादा परेशानी उनको हो रही है और वह लगातार कर्जदार होता जा रहा है। महंगाई बढ़ती जा रही है और फसलों के दाम पूरे नहीं मिल रहे है। उससे परिवार का गुजारा करना भी मुश्किल हो रहा है। इसलिए सरकार को किसानों के हित में फैसले लेने चाहिए -सतनाम सिंह, सदस्य अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति

 

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स्रोत: Amar Ujala