आलू की गुणवत्ता में होगा सुधार, बंपर होगी पैदावार

November 19 2020

शामगढ़ गांव स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र में निर्मित एयरोपोनिक्स इकाई में आलू बीज के उत्पादन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह प्रदेश के आलू उत्पादक किसानों के लिए खुशी की बात है। राज्य में करीब 65 हजार एकड़ में आलू उत्पादन होता है। प्रति एकड़ करीब 14 क्विंटल बीज की सालाना मांग है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के सहयोग से स्थापित एयरोपोनिक्स यूनिट में इस साल सितंबर में आलू पौध की ट्रांसप्लांटिंग की गई। चार-पांच महीने में इस इकाई से करीब साढ़े पांच लाख मिनी ट्यूबर (आलू बीज) प्राप्त होंगे। प्रथम तौर पर उत्पन्न ट्यूबर को हटा दिया जाएगा ताकि पौधे मजबूत बनें। मोहन, पुखराज, लीमा व दो अन्य किस्मों का बीज बनाया जा रहा है। केंद्र का लक्ष्य यह है कि आने वाले दो साल में राज्य में आलू के गुणवत्ता वाले बीज की कमी न रहे और किसानों को बीज के लिए दिक्कत का सामना न करना पड़े। अब केवल बीज उत्पादकों को ही केंद्र से बीज दिया जाएगा। अगले सप्ताह प्रदेश के उन प्रगतिशील किसानों से आवेदन मांगे जाएंगे जो आलू का बीज उत्पादन करते हैं। आलू की आगामी बीज जनरेशन इन किसानों के खेतों में पैदा करवाने के उपरांत आम किसानों को बीज मुहैया करवाया जाएगा। बीज के दाम सरकार के नियंत्रण में रखे जाएंगे। इसके अलावा केंद्र में स्थापित टिश्यू कल्चर लैब में इस साल तीन लाख से अधिक आलू के पौधे तैयार किए गए हैं। जबकि इससे पहले इसमें एक लाख पौधे तैयार होते थे। इन पौधों को एयरोपोनिक्स यूनिट में ट्यूबर बनाने व कोकोपिट में भी बिजाई के लिए तैयार किया जाता है। यह तमाम प्रक्रियाएं इसलिए की जाती हैं ताकि बीज हर लिहाज से स्वस्थ उत्पन्न हो। उसमें मिट्टी जनित बीमारियों का खतरा नहीं रहता। विषाणु रहित बीज तैयार होता है। उद्यान विभाग हरियाणा के उपनिदेशक डा. दीपक कुमार धतरवाल ने कहा कि आलू की जिन किस्मों की मांग है उसी आधार पर वैज्ञानिक विधियों से आधार बीज तैयार किए जा रहे हैं। बीज से बीज तैयार करवाने पर पूरा जोर दिया जाएगा। मेहनती बीज उत्पादकों का जल्द चयन किया जाएगा।

 

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स्रोत: Amar Ujala