सरकार ने बासमती निर्यात का न्यूनतम मूल्य घटाकर 950 डॉलर प्रति टन किया

October 27 2023

निर्यात संवर्धन निकाय एपीडा को भेजे एक पत्र में वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि बासमती चावल के निर्यात के लिए अनुबंध पंजीकरण के लिए मूल्य सीमा को 1,200 डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 950 डॉलर प्रति टन करने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) को केवल उन्हीं अनुबंधों को पंजीकृत करने का निर्देश दिया गया है जिनका मूल्य 950 डॉलर प्रति टन और उससे अधिक है।

सरकार ने 27 अगस्त को प्रीमियम बासमती चावल की आड़ में सफेद गैर-बासमती चावल के ‘अवैध’ निर्यात पर रोक लगाने के लिए 1,200 डॉलर प्रति टन से कम मूल्य वाले बासमती चावल के निर्यात की अनुमति नहीं देने का फैसला किया था। कीमत के हिसाब से वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का बासमती चावल का कुल निर्यात 4.8 अरब डॉलर का रहा, जबकि मात्रा के हिसाब से यह 45.6 लाख टन था।

चावल निर्यातक संघ पिछले दो महीनों से इस आधार मूल्य में कटौती की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण भारत अपना निर्यात बाजार खो रहा है। उनका यह तर्क भी रहा है कि पिछले दो-तीन वर्षों में भारत की औसत निर्यात प्राप्ति 800-900 डॉलर प्रति टन रही है। इन मांगों के बीच खाद्य मंत्रालय ने 15 अक्टूबर को कहा था कि सरकार आधार मूल्य कम करने की उद्योग की मांग पर विचार कर रही है।

अंतिम अनुमान के अनुसार, चावल का उत्पादन वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 13 करोड़ 57.5 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि इसके एक साल पहले यह उत्पादन 12 करोड़ 94.7 लाख टन था। उद्योग के अनुसार, वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में बासमती चावल का औसत निर्यात मूल्य 850-900 डॉलर प्रति टन रहा। इस साल 1,200 डॉलर प्रति टन से नीचे के अनुबंधों को पंजीकृत नहीं करने के फैसले से पहले यह दाम लगभग 1,050 रुपये प्रति टन था।

बासमती चावल निर्यातक जीआरएम ओवरसीज के प्रबंध निदेशक अतुल गर्ग ने कहा कि सरकार के इस कदम से वैश्विक बाजारों में भारतीय बासमती चावल निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता बहाल होगी। उन्होंने इस फैसले को निर्यातकों और किसानों के लिए बड़ी राहत बताया। पंजाब से राज्यसभा सदस्य विक्रमजीत सिंह साहनी ने कहा, ‘‘बासमती चावल की लगभग 40 किस्में हैं जिनकी कीमत 850-1,600 डॉलर प्रति टन तक है। बासमती चावल की निचली किस्मों का निर्यात बाजार में 70 प्रतिशत योगदान है।’’

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स्रोत: दिप्रिंट