समर्थन मूल्य से कम पर फसलें बिकने से किसान परेशान

April 10 2019

किसानो को उनकी उपज का वाजिब दाम दिलाने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न फसलों के समर्थन मूल्य घोषित किए जाते हैं, ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके। लेकिन प्राय: देखा गया है कि प्रशासनिक लापरवाहियों के चलते किसानों की फसल को समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाता है। फिर चाहे वह गेहूं हो या दलहन फसलें इसी कारण किसानों की आर्थिक दशा में कोई बदलाव नहीं दिखाई दे रहा है।

इन दिनों प्रदेश में  समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी आरम्भ हो गई है। लेकिन किसानों की शिकायत है कि उनके गेहूं को समर्थन मूल्य से नीचे के दाम पर खरीदा जा रहा है। इस विषय को लेकर बुधवार को इंदौर की लक्ष्मी बाई अनाज मंडी में विवाद हुआ। चक्काजाम के बाद मंडी में खरीदी बंद होने पर प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। किसानों ने कहा कि व्यापारियों द्वारा गेहूं की खरीदी समर्थन मूल्य से कम पर की जा रही है। गेहूं का समर्थन मूल्य 1840 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। लेकिन व्यापारी किसानों की मेहनत का मोल 1600 से 1750 रु. के बीच में लगा रहे हैं। ग्राम धतुरिया के किसान अशोक मकवाना का कहना था कि मेरा गेहूं स्थानीय बाजार में 2200 रु. क्विंटल में बिक रहा है लेकिन मंडी में  व्यापारी 1800 की बोली लगा रहे हैं। अन्य किसानों की भी बोली कम लगाने पर नाराज हुए किसानों ने मंडी गेट पर चक्काजाम कर दिया। दोपहर बाद प्रशासनिक अधिकारी किसानों को समझाइश देते रहे। जबकि व्यापारियों का कहना है कि गेहूं की गुणवत्ता के हिसाब से गेहूं का दाम तय किया जाता है। स्मरण रहे कि मंडी में खरीदी को लेकर एक हफ्ते में विवाद की यह दूसरी घटना है। इस घटना   

के बाद  भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष श्री बबलू जाधव ने कहा कि किसानों का गेहूं समर्थन मूल्य पर बिके इसकी जिम्मेदारी मंडी अधिकारियों की है। जो व्यापारी समर्थन मूल्य से कम पर खरीदी करते हैं उनके लायसेंस निरस्त किए जाएंं।

लगभग ऐसे ही हालात दलहन फसलों को लेकर भी है। दलहन फसलें भी समर्थन मूल्य से नीचे बिकने से भी किसान परेशान हैं। कोढ़ में खाज यह कि केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसार नए वित्त वर्ष में साढ़े छह लाख टन दालों के आयात को मंजूरी दे दी है। इनमें  मूंग और उड़द डेढ़ -डेढ़ लाख टन,अरहर दो लाख टन और मटर डेढ़ लाख टन आयात की मंजूरी शामिल है। इससे किसानों की समस्या और बढ़ेगी। किसानों की तकलीफ का दूसरा कारण यह है कि प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम -आशा) के तहत रबी सीजन 2018-19  के लिए 9 राज्यों तेलंगाना, तमिलनाडु, मप्र, राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा में समर्थन मूल्य पर दलहन और तिलहन खरीदने की अनुमति दी है। शेष 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के किसान इस योजना का लाभ नहीं ले पाएंगे। दलहन की सबसे बड़ी मंडी कर्नाटक के गुलबर्ग में अरहर 5000-5300 रु. प्रति क्विंटल के भाव  बिकी, जबकि अरहर का समर्थन मूल्य 5675 रुपए प्रति क्विंटल है। इसी तरह दिल्ली की मंडी में चना 4300  से 4400 रु. और मप्र में 4000 से 4100 रु. में बिका है।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|

स्रोत: Krishak Jagat