सब्ज़ियों से बिजली उत्पादन एवं जैव खाद का निर्माण

April 12 2023

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने एवं हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए निरंतर नए प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में तेलंगाना राज्य में हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी में बची हुई शेष सब्ज़ियों से जैव-बिजली, जैव ईंधन और जैव-खाद उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के एक एपिसोड के दौरान अपनी तरह की अनोखी जैव-विद्युत, जैव ईंधन और जैव-खाद उत्पादन परियोजना की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने देखा है कि सब्जी मंडियों में, सब्जियां कई कारणों से सड़ जाती हैं, जिससे अस्वास्थ्यकर स्थितियां उत्‍पन्‍न हो जाती हैं। बहरहाल, हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के व्यापारियों ने अपशिष्‍ट सब्जियों से विद्युत उत्‍पन्‍न करने का निर्णय लिया। यह नवोन्‍मेषण की शक्ति है।”

500 यूनिट बिजली एवं 30 किलो जैविक ईंधन का हो रहा है उत्पादन 

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के सचिव श्रीनिवास ने रेखांकित किया कि इस मंडी से एकत्रित सब्जी और फलों के अपशिष्‍ट के प्रत्येक औंस का उपयोग लगभग 500 यूनिट बिजली और 30 किलो जैव ईंधन उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। उत्पन्न विद्युत स्ट्रीटलाइट्स, 170 स्टालों, एक प्रशासनिक भवन और जल आपूर्ति नेटवर्क को बिजली प्रदान करती है, जबकि उत्पादित जैव ईंधन का उपयोग बाजार की व्यावसायिक रसोई में किया जाता है। बायोगैस संयंत्र को अब “सतत भविष्य का मार्ग” कहा जाता है। वहीं मंडी में कैंटीन का संचालन स्थापित संयंत्र के माध्‍यम से उत्पन्न विद्युत द्वारा किया जाता है। मंडी यार्ड में 650-700 यूनिट बिजली की आवश्यकता होती है और औसतन 400 यूनिट बिजली का उत्पादन करने के लिए लगभग 7-8 टन सब्जी अपशिष्‍ट की जरूरत होती है। इसके परिणामस्‍वरूप, मंडी का स्‍थान भी स्‍वच्‍छ और प्रदूषण मुक्त रहता है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भी संयंत्र का दौरा किया है और हमारे प्रयासों की सराहना की है।

इस तरह काम करता है बायोगैस संयंत्र 

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी और आस-पास के यार्डों में उत्पन्न अपशिष्ट (सड़ी हुई और न बिकने वाली सब्जियां) शहर भर से एकत्र किया जाता है। सब्जियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है और कन्वेयर बेल्ट के ऊपर से श्रेडर तक चलाया जाता है। इसके बाद अपशिष्‍ट को कतरने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जहां सभी सब्जियों को छोटे और समान आकार में क्रश कर दिया जाता है और ग्राइंडर में डाल दिया जाता है। यह ग्राइंडर सामग्री को लुगदी में और क्रश कर देती है, जिसे घोल भी कहा जाता है और उन्हें अवायवीय डाइजेस्टर्स में डाल दिया जाता है। उत्पन्न गैस को एकत्र किया जाता है और अगले उपयोग तक बैलून में भंडारित किया जाता है। जैव खाद गैस के अतिरिक्त उपोत्पाद के रूप में प्राप्त होता है। एक अलग टैंक में, बायोगैस एकत्र किया जाता है और खाना पकाने के लिए पाइपलाइन प्रणाली के माध्यम से भेजा जाता है। जैव ईंधन को फिर 100 प्रतिशत बायोगैस जनरेटर में आपूर्ति की जाती है जिसका उपयोग कोल्ड स्टोरेज कमरे, पानी के पंप, दुकान, स्ट्रीट लाइट आदि को बिजली देने के लिए किया जाता है।

संयंत्र से तैयार उत्पादों को इन कार्यों में किया जा रहा है 

उपयोग इस संयंत्र से प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले लगभग 30 किलोग्राम जैव-ईंधन की आपूर्ति इकाई के पास रसोई की सुविधाओं के लिए की जाती है। प्रशासनिक भवन, मंडी जलापूर्ति नेटवर्क, लगभग 100 स्ट्रीट लाइट और मंडी के 170 स्टॉल द्वारा 400-500 यूनिट बिजली का उपयोग किया जा रहा है। यह बायोगैस इकाई बिजली के बिल को आधे से कम करने में मदद करती है (पहले औसतन 3 लाख रुपये प्रति माह)। तरल जैविक खाद का उपयोग किसानों के खेतों में उर्वरक के रूप में किया जा रहा है।

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स्रोत: किसान समाधान