शक्कर को इथेनॉल में परिवर्तित करने को प्रोत्साहन

August 23 2021

भारत सरकार गन्ना किसानों के बकाये का समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करने और कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरप्लस चीनी के निर्यात और चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने को प्रोत्साहन देने के लिए सक्रियता के साथ कदम उठा रही है। पिछले कुछ वर्षों में, देश में चीनी का उत्पादन घरेलू खपत से ज्यादा रहा है। केन्द्र सरकार चीनी मिलों को सरप्लस चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और चीनी के निर्यात को सहज बनाने के लिए चीनी मिलों को वित्तीय प्रोत्साहन उपलब्ध कराया है, जिससे उनकी लिक्विडिटी की स्थिति में सुधार हो और उन्हें गन्ना किसानों के गन्ना मूल्य के समयबद्ध भुगतान में सक्षम बनाया जा सके।

पिछले 3 सत्रों 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में, क्रमशः लगभग 6.2 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी), 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया। वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में, सरकार चीनी के 60 एलएमटी निर्यात को सुगम बनाने के लिए 6,000 रुपये प्रति एमटी की दर से सहायता उपलब्ध करा रही है। 60 एलएमटी के निर्यात लक्ष्य की तुलना में, लगभग 70 एलएमटी के अनुबंधों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं, चीनी मिलों से 60 एलएमटी से ज्यादा चीनी का उठान हो चुका है और अब तक 55 एलएमटी से ज्यादा का निर्यात हो चुका है।कुछ चीनी मिलों ने आगामी चीनी सत्र 2021-22 में निर्यात के लिए अग्रिम अनुबंधों पर हस्ताक्षर भी किए हैं।

अतिरिक्त चीनी की समस्या का स्थायी समाधान खोजने के क्रम में, सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने से इथेनॉल बनाने को प्रोत्साहित कर रही है, जिसे पेट्रोल के साथ मिलाया जाता है। इससे न सिर्फ हरित ईंधन का उद्देश्य पूरा होता है, बल्कि कच्चे तेल के आयात के मद में विदेशी मुद्रा की भी बचत होती है साथ ही मिलों द्वारा इथेनॉल की बिक्री से मिले राजस्व से चीनी मिलों को किसानों के गन्ना बकाया के भुगतान में भी सहायता मिलती है। पिछले 2 चीनी सत्रों 2018-19 और 2019-20 में, लगभग 3.37 एलएमटी और 9.26 एलएमटी चीनी से एथेनॉल बनाया गया है। वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, 20 एलएमटी से एथेनॉल बनाए जाने का अनुमान है। आगामी चीनी सत्र 2021-22 में, लगभग 35 एलएमटी चीनी को परिवर्तित किए जाने का अनुमान है।

पिछले चीनी सत्र 2019-20 में, लगभग 75,845 करोड़ रुपये के देय गन्ना बकाये में से 75,703 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और सिर्फ 142 करोड़ रुपये का बकाया लंबित है। हालांकि, वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, चीनी मिलों द्वारा लगभग 90,872 करोड़ रुपये के गन्ने की खरीद की गई जो अभी तक का रिकॉर्ड है। इसमें से लगभग 81,963 करोड़ रुपये के गन्ना बकाये का किसानों को भुगतान कर दिया गया और सिर्फ 8,909 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया लंबित है। निर्यात और गन्ने से इथेनॉल बनाने में बढ़ोतरी से किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान में तेजी आई है।

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स्रोत: Krishak Jagat