रेड रॉट (लाल सड़न रोग) बीमारी के चलते अनुपयुक्त हो चुकी 0238 प्रजाति का गन्ना बोने से गोरखपुर मंडल के किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि लगभग 26 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में बोई गई गन्ने की फसल सूख गई है। मोटे अनुमान के मुताबिक, औसत उपज के आधार पर किसानों को छह अरब 63 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
चीनी मिलों को भी करीब 40 प्रतिशत कम गन्ना मिलेगा। इसका असर चीनी उत्पादन पर पड़ेगा। पिछले तीन साल से यह दिक्कत बनी हुई है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले वर्षों में गन्ना किसानों की यह समस्या चीनी उद्योग के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है।
गोरखपुर मंडल के कुशीनगर, महराजगंज, देवरिया और गोरखपुर जिले में गन्ना ही मुख्य नकदी फसल है। उप गन्ना आयुक्त कार्यालय के अनुसार करीब एक लाख 17 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की खेती होती है। चीनी मिल में वरिष्ठ अभियंता रह चुके मनोज सिंह बताते हैं कि पश्चिमी यूपी व हरियाणा में अच्छी रिकवरी देने वाली 0238 प्रजाति के गन्ने की बुवाई के लिए, चार-पांच साल पहले पूर्वांचल के किसानों को प्रोत्साहित किया गया था। इससे वजन और रिकवरी तो बढ़ी, लेकिन इस प्रजाति में रेड रॉट, जिसे स्थानीय भाषा में लाल सड़न रोग कहा जाता है, खूब लगता है। जलभराव वाले इलाके में गन्ने की जड़ में लगने वाली यह बीमारी पानी के साथ फैलती है। इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
पिपराइच क्षेत्र के बलुआ निवासी किसान अभय प्रताप सिंह व देवरिया के बजराटार निवासी जनार्दन सिंह की तीन-तीन एकड़, कुशीनगर के सिंगहा गांव के देवेश प्रताप शाही की करीब 20 एकड़ और डुमरी गांव के श्याम मुरली मनोहर मिश्र की चार एकड़ गन्ने की फसल इस बीमारी के चलते सूख गई। इसी तरह खड्डा क्षेत्र के गोनहा गांव के प्रधान अवनिंद्र गुप्ता की भी करीब साढ़े चार एकड़ गन्ने की फसल सूख चुकी है।
मिलों को उठाना पड़ रहा घाटा
सेवरही चीनी मिल के उप गन्ना प्रबंधक पीएन शाही बताते हैं कि इस बार मिल को 55 हजार क्विंटल गन्ना आपूर्ति का लक्ष्य मिला है, लेकिन वर्तमान हालात को देखते हुए 40 हजार क्विंटल गन्ना पेराई भी मुश्किल लग रही है। वजह यह कि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गन्ने की फसल सूख गई। इससे मिलों को घाटा उठाना पड़ रहा है। त्रिवेणी चीनी मिल रामकोला के महाप्रबंधक अनिल कुमार त्यागी बताते हैं कि रेड रॉट बीमारी के चलते पिछले साल चीनी मिल को करीब आठ करोड़ का घाटा हुआ था।
किसानों को कर रहे हैं जागरूक
गोरखपुर के उप गन्ना आयुक्त ऊषा पाल ने बताया कि पिछले तीन साल से गोरखपुर मंडल में औसत से अधिक बारिश हो रही है। इसके अलावा जलभराव की समस्या भी गंभीर है। इसके चलते गन्ने की फसल सूख रही है। 0238 प्रजाति में लाल सड़न रोग सर्वाधिक लगता है, इसलिए नुकसान भी अधिक हो रहा है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे स्वीकृत प्रजाति का ही गन्ना बीज बोएं।
इस बीमारी की अब तक कोई दवा नहीं
पिपराइच गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केंद्र के सहायक निदेशक ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि रेड रॉट बीमारी की कोई दवा नहीं है। गन्ने की प्रजाति 0238 में यह बीमारी सर्वाधिक होती है। जलभराव वाले क्षेत्र के लिए यह गन्ना उपयुक्त नहीं है। जलभराव वाले क्षेत्रों में अर्ली प्रजाति का गन्ना न बोएं।
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स्रोत: Amar Ujala