यूरिया में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, जल्द शुरू होगा 25 लाख मिट्रिक टन का उत्पादन

August 17 2022

केंद्र सरकार एक तरफ प्राकृतिक और जैविक खेती की बात कर रही है तो दूसरी ओर यूरिया उत्पादन को बढ़ाने की रणनीति भी बनाई जा रही है. केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा है कि हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) की सिंदरी तथा बरौनी परियोजनाओं में सरकार जल्द ही यूरिया का उत्पादन शुरू करेगी. ये दो प्लांट यूरिया के स्वदेशी उत्पादन में 25 लाख मिट्रिक टन प्रति वर्ष (एलएमटीपीए) से अधिक का योगदान देंगे. जिससे आयातित यूरिया की मात्रा को कम करने में मदद मिलेगी.
मंत्री ने अमोनिया/यूरिया के उत्पादन के लिए कोयला गैसीकरण टेक्नोलॉजी आधारित देश के पहले यूरिया प्लांट तालचर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (टीएफएल) की प्रगति की भी समीक्षा की. तालचर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड की उत्पादन क्षमता 12.7 एलएमटीपीए होगी और 2024 में इसकी कमीशनिंग होने की उम्मीद है. मांडविया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इन प्लांटों से स्वदेशी यूरिया का उत्पादन होगा. जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘आत्मनिर्भर कृषि’ के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक कदम होगा.
दूसरे देशों से मंगाई जा रही है काफी यूरिया

सरकार के प्रयासों से भारत यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा. अभी काफी यूरिया दूसरे देशों से मंगाई जाती है. इसके अलावा, इनमें से प्रत्येक संयंत्र 500 प्रत्यक्ष और 1500 अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगा. सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों जैसे नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और फर्टिलाइजर्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एफसीआईएल) हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचएफसीएल) के साथ जॉइंट वेंचर कंपनी बनाकर नामांकन आधार से गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी यूनिट्स के पुनरुद्धार को अनिवार्य कर दिया है.
तालचेर प्लांट का पुनरुत्थान
सरकार ने नामांकित सार्वजनिक उपक्रमों यानी गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल), कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ) और एफसीआईएल की एक संयुक्त उद्यम कंपनी बनाकर नामांकन आधार के माध्यम से तालचर इकाई के पुनरुद्धार को भी अनिवार्य कर दिया. इस तरह तालचेर फर्टिलाइजर लिमिटेड (टीएफएल) नामक एक संयुक्त उद्यम कंपनी को गेल, आरसीएफ और सीआईएल द्वारा 31.85 प्रतिशत की इक्विटी भागीदारी के साथ शामिल किया गया था. जबकि एफसीआईएल ने 4.45 फीसदी इक्विटी बरकरार रखी थी.
यूरिया का कितना आयात
एक तरफ हम प्राकृतिक खेती की मुहिम चला रहे हैं तो दूसरी ओर हजारों करोड़ रुपये लगाकर पुराने उर्वरक प्लांटों को फिर से शुरू किया जा रहा है. जबकि भारत में यूरिया का पहले ही एक्सेस इस्तेमाल हो रहा है. इंडियन नाइट्रोजन ग्रुप की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पचास साल में हर भारतीय किसान ने औसतन 6,000 किलो से अधिक यूरिया का इस्तेमाल किया. जो मानव और जमीन दोनों की सेहत के लिए खतरनाक है.
केंद्र सरकार हर साल औसतन 91.36 लाख मिट्रिक टन यूरिया का आयात कर रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने 26 नवंबर 2017 की मन की बात में किसानों से यूरिया का कम से कम इस्तेमाल करने की अपील की थी. फिर भी किसान मानने के लिए तैयार नहीं हैं. देखना यह है कि जैविक और प्राकृतिक खेती की मुहिम कितनी कामयाब होगी और यूरिया का इस्तेमाल कितना कम होगा.
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स्रोत:tv 9