मिलेट प्रोडक्ट पर जीएसटी दर घटाकर 5% की गई

October 10 2023

वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने बाजरे के आटे से बने भोजन पर जीएसटी को मौजूदा 18% जीएसटी से घटाकर 5% करने का फैसला किया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 52वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक विज्ञान भवन में चल रही है. इसके अलावा कई लंबित सुधार एजेंडा पर चर्चा की जा रही है।

एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने शनिवार को बाजरे के आटे से बने भोजन पर जीएसटी को घटाकर 5 प्रतिशत करने का फैसला किया है. अभी तक जीएसटी दर 18 प्रतिशत लागू थी। जीएसटी काउंसिल की फिटमेंट कमेटी ने पहले ही बाजरा पाउडर पर छूट की सिफारिश की थी। हालांकि, समिति ने बाजरे से तैयार उपज पर कोई प्रोत्साहन देने से इनकार किया था।

बाजरे का आटा अपने न्यूट्रीशन वैल्यू और हेल्थ बेनेफिट्स के लिए जाना जाता है। मिलेट्स प्रोडक्ट ने भारत में स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रियता हासिल की है। बाजरे के आटे से बने खाद्य पदार्थों पर जीएसटी दर कम करने का सरकार का उद्देश्य इन पौष्टिक खाद्य पदार्थों तक सार्वजनिक पहुंच को बढ़ाना है।

भारत 2023 को मिलेट ईयर के रूप में मना रहा है और सरकार बाजरा के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है। इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था कि बाजरा जलवायु के अनुकूल है और इसे कम पानी और उर्वरकों और कीटनाशकों के न्यूनतम उपयोग के साथ उगाया जा सकता है। सरकार बाजरा को किसानों, पर्यावरण और उपभोक्ताओं के लिए अच्छी फसल बनाने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में 52वीं जीएसटी परिषद की बैठक की अध्यक्षता कर रही हैं। बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के अलावा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्री और केंद्र सरकार और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं।

जीएसटी परिषद टैक्स दरों, नीति परिवर्तन और प्रशासनिक मुद्दों सहित जीएसटी शासन से संबंधित मामलों पर विचार-विमर्श करने के लिए समय-समय पर बैठक करती है। जीएसटी परिषद भारत की इनडायरेक्ट टैक्स स्ट्रक्चर को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह सुनिश्चित करती है कि यह देश के आर्थिक लक्ष्यों के साथ मिलान में हो और नागरिकों और व्यवसायों पर टैक्स का बोझ कम हो।

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स्रोत: hindi.economictimes.com