मक्की पर आधारित उद्योग न लगने से किसानों पर संकट और गहराया

September 28 2021

हिमाचल सरकार ने प्रदेश के मक्की उत्पादक किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। केंद्र सरकार ने भले ही मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है, लेकिन प्रदेश में मक्की खरीद केंद्र न खुलने से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल रहा। मक्की पर आधारित उद्योग न लगने से किसानों के लिए संकट और गहरा गया है। केंद्र सरकार मक्की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य हर साल निर्धारित करती है, लेकिन इसे प्रदेश के किसानों का दुर्भाग्य की कहा जाएगा कि प्रदेश में आज तक एक भी मक्की खरीद केंद्र नहीं खोला जा सका।

मक्की उत्पादकों को पहले मौसम की मार झेलनी पड़ती है और अगर मक्की की पैदावार अच्छी हो जाए तो इसे बाजार में अच्छे दाम नहीं मिल पाते। किसान मक्की को चाहते हुए भी एमएसपी में नहीं बेच पाते। हिमाचल प्रदेश किसान   संयुक्त संघर्ष समिति के महासचिव संजय चौहान कहते हैं कि सरकार ने मक्की उत्पादकों को उनके ही हाल पर छोड़ दिया है। मक्की खरीद केंद्र सरकार खोलती नहीं है और न प्रदेश में मक्की पर आधारित बड़े उद्योग लगाए जा रहे हैं। सरकार को चाहिए कि कृषि और बागवानी फसलों पर आधारित बड़े उद्योग लगाने के लिए निवेश को प्रोत्साहित किया जाए।

मक्की पर आधारित उद्योग नहीं

प्रदेश में मक्की पर आधारित ऐसा कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं है, जो मक्की को कच्चेे माल के रूप में इस्तेमाल कर सके। ऐेसे उद्योग लगाए होते तो किसानों को औने-पौने दामों में अपनी फसल न बेचनी पड़ती। प्रदेश में करीब सात लाख मीट्रिक टन मक्की की पैदावार होती है। मक्की से कॉर्न फ्लैक्स, स्टार्च सहित र्कई अन्य उत्पाद तैयार हो सकते हैं।

800 रुपये प्रति क्विंटल बेचनी पड़ी थी मक्की

प्रदेश में खरीद केंद्र न खुलने से किसानों को पिछले साल भी करीब 800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मक्की बेचनी पड़ी थी, जबकि पिछले साल न्यूनतम समर्थन मूल्य 1830 रुपये प्रति क्विंटल तय था।

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स्रोत: Amar Ujala