वर्ष 2018 से 6 यूरिया उत्पादन यूनिट, चंबल फर्टिलाइजर लिमिटेड, कोटा राजस्थान, मैटिक्स लिमिटेड पानागढ़, पश्चिम बंगाल, रामागुंडम-तेलंगाना, गोरखपुर-उत्तर प्रदेश, सिंदरी-झारखंड और बरौनी-बिहार की स्थापना और पुनरुद्धार से देश को यूरिया उत्पादन और उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिल रही है। यूरिया का स्वदेशी उत्पादन 2014-15 के दौरान 225 एलएमटी के स्तर से बढ़कर 2021-22 के दौरान 250 एलएमटी हो गया है। 2022-23 में उत्पादन क्षमता बढ़कर 284 LMT हो गई है। भारत में 2025-26 तक 195 एलएमटी पारंपरिक यूरिया के बराबर 44 करोड़ बोतलों की उत्पादन क्षमता वाले आठ नैनो यूरिया प्लांट चालू हो जाएंगे। नैनो यूरिया नियंत्रित ढंग से पौधो को पोषक तत्व देता हैं, जिससे किसानों की लागत कम होने के साथ-साथ उच्च पोषक तत्व के उपयोग दक्षता में योगदान मिलता है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि नैनो यूरिया के उपयोग से फसल की पैदावार में वृद्धि हुई है।नैनो यूरिया प्लांटो के साथ ये यूरिया पर वर्तमान आयात निर्भरता को कम करेंगे और 2025-26 तक भारत को आत्मनिर्भर बना देंगे।
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स्रोत: कृषक जगत