बारिश में धान और थमने पर मूंग, उड़द व तिली की फसल पैदा करें किसान

August 11 2021

खेत में खड़ी खरीफ की फसल को बाढ़ ने तहस-नहस कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्र में जनजीवन अस्त-व्यस्त है। ऐसे में कृषि विज्ञानियों ने राहत भरी जानकारी दी है। उनका कहना है बाढ़ग्रस्त ऐसे क्षेत्र जहां पर खेतों में जलभराव है अथवा वह क्षेत्र जहां बारिश थम चुकी है और खेतों में पानी नहीं है। वहां अब भी सूझबूझ से फसल खड़ी अपना घाटा पूरा कर सकते हैं। यदि किसान 25 अगस्त तक भी खेत में खरीफ की फसल की बुवाई कर लेता है तो वह समय रहते रवि के मौसम की फसल पैदा कर सकेगा।

बाढ़ के मुश्किल हालातों के बाद इन फसलों की पैदावार कर नुकसान की करें भरपाई़ि

जलभराव वाले स्थान: कृषि विज्ञानी डा. राज सिंह कुशवाह का कहना है, बाढ़ प्रभावित ऐसे क्षेत्र जहां पर खेत जलमग्न हैं और हाल फिलहाल खाली होने वाले भी नहीं हैं। वहां धान की पौध रोपी जा सकती है, क्योंकि धान की फसल 120 से 130 दिन के भीतर तैयार हो जाती है। अभी धान लगाई जाती है तो वह 15 नवंबर तक तैयार हो जाएगी और दिसंबर से पहले रवि मौसम की फसल की बुवाई की जा सकती है।

खेत सूख गए तो मूंग, उड़द व तिली करें: ऐसे क्षेत्र जहां पर बारिश थम चुकी और खेतों में जलभराव भी नहीं रहा है। वहां पर कम पानी वाली फसलें जैसे तिली, मूंग, उड़द आदि की पैदावार की जा सकती है। यह फसलें 70 से 75 दिन में तैयार हो जाती हैं। यदि 20 अगस्त तक इन फसलों के बीज की बुवाई की जाए तो 30 अक्टूबर तक फसल तैयार हो जाएगी। इसके बाद रवि की फसल गेहूं की बुवाई समय पर की जा सकेगी।

120 दिन में तैयार होती गेहूं की फसल़किृषि विज्ञानी बताते हैं गेहूं की बोवनी नवबंर माह में की जाती है, जो 120 दिन में पककर तैयार होती है। गेहूं की कटाई मार्च में की जाती है, तब गेहूं की पैदावार बेहतर होती है। दिसंबर में गेहूं की बोवनी होने पर पैदावार पर थोड़ा फर्क पड़ता। हलांकि किसान दूसरी फसल लेने के लिए गेहूं की बोवनी दिसंबर के आखिर माह तक भी करते हैं।

जिन क्षेत्रों में बारिश थम चुकी है और खेत में जोत आ रही है, किसान वहां कम पानी वाली तिलहनी व दलहनी फसले पैदा कर सकते हैं। यह फसलें करीब 70 दिन में तैयार हो जाती हैं, जिससे गेहूं की बुवाई भी समय पर होगी। जहां जलभराव की स्थिति है वहां धान की फसल ली जा सकती है।

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स्रोत: Nai Dunia