फोर्टिफाइड चावल के फायदे हैं या नुकसान, एम्स के डॉक्टर ने दी पूरी जानकारी

June 14 2022

कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार देश में बड़े पैमाने पर फोर्टिफाइड चावल (Fortified Rice) बांटने जा रही है. लेकिन, आम लोगों के मन में यह सवाल है कि मिलों में बनने वाला यह चावल कितना फायदेमंद है और कितना नुकसानदेह. केंद्रीय खाद्य सचिव के कार्यालय में नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के सहायक प्रोफेसर डॉ. कपिल यादव ने लोगों की इस आशंका को दूर करने की कोशिश की. डॉ. यादव यहां सामुदायिक चिकित्सा केंद्र (सीसीएम) में कार्यरत हैं. उन्होंने कहा कि चावल-फोर्टिफिकेशन योजना के लाभ इसमें शामिल जोखिमों से कहीं अधिक हैं. केवल 0.01 फीसदी जनसंख्या, विशेष रूप से थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित लोगों को फोर्टिफाइड चावल के सेवन से स्वास्थ्य जोखिम का सामना करना पड़ सकता है.
फोर्टिफाइड चावल बौनापन, गलगंड, आईआईएच (थायरोटॉक्सिकोसिस), मस्तिष्क क्षति रोकने, भ्रूण व नवजात स्वास्थ्य और जनसंख्या की उत्पादन क्षमता के सुधार में सहायता करता है. सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए पूरक रणनीति के रूप में स्टेपल फूड फोर्टिफिकेशन’ पर एक प्रजेंटेशन देते हुए उन्होंने कहा कि फूड फोर्टिफिकेशन कई सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए एक लागत प्रभावी पूरक रणनीति है. अगर हम आम चावल से तुलना करें तो फोर्टिफाइड चावल में आयरन, विटामिन बी-12, जिंक और फॉलिक एसिड ज्यादा होता है.
दुनिया के 200 करोड़ लोगों में कई सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी
डॉ. यादव ने बताया कि वैश्विक स्तर पर 200 करोड़ से अधिक लोगों में कई सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है. 160 करोड़ लोगों को एनीमिया (खून की कमी) है, 50 फीसदी से अधिक लोगों में आयरन की कमी है. हर साल 2,60,100 गर्भधारण न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स (एनटीडी) से प्रभावित होते हैं. कई सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी निम्न मानव विकास के महत्वपूर्ण कारण हैं. संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (यूएन-डब्ल्यूएफपी) की पोषण और स्कूल फीडिंग इकाई के उप प्रमुख डॉ. सिद्धार्थ वाघुलकर ने ‘चावल फोर्टिफिकेशन प्रक्रिया और साक्ष्य’ पर भारतीय अध्ययनों के साक्ष्य के बारे में जानकारी दी.
175 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल की जरूरत
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया कि केंद्र सरकार मार्च 2023 तक 291 जिलों फोर्टिफाइड चावल का वितरण करेगी. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के जरिए अप्रैल 2022 में शुरू हुए इस कार्यक्रम के दूसरे चरण के लिए 90 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल का उत्पादन पहले ही किया जा चुका है. 16 राज्यों में ऐसे चावल का उठान शुरू कर दिया है. दूसरे चरण में अब तक लगभग 2.58 लाख मीट्रिक टन का वितरण भी किया जा चुका है. अब तक वितरण के लिए 175 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल की जरूरत है.
अब तक कितनी हुई खरीद
पांडेय ने बताया कि योजना शुरू होने से अब तक कुल 126.25 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल की खरीद की जा चुकी है. इसकी पूरी लागत (लगभग 2700 करोड़ रुपये प्रति वर्ष) है, जिसे खाद्य सब्सिडी के तहत केंद्र सरकार की ओर से जून, 2024 तक वहन किया जाएगा. भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्य एजेंसियां ऐसे चावल की खरीद कर रही हैं.
सबसे पहले कब शुरू किया गया वितरण
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल फोर्टिफिकेशन और उसके वितरण पर 2019-20 में पायलट स्कीम शुरू की गई. इसे अगले 3 साल की अवधि के लिए लागू किया गया था. इस पायलट योजना के तहत 11 राज्यों ने अपने चिन्हित जिलों (हर राज्य में 1 जिले) में फोर्टिफाइड चावल का वितरण किया गया. पायलट स्कीम की अवधि 31 मार्च, 2022 को समाप्त हो गई. इसके तहत लगभग 4.30 लाख मीट्रिक टन चावल का वितरण हुआ था. अब 2024 तक इसे बड़े पैमाने पर लागू करने की मंजूरी मिल गई है.
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स्रोत : Tv 9