पेनिकल माइट और भूरा माहू का प्रकोप, वैज्ञानिक उतरे खेत में

November 05 2021

रायपुर से लगे गांव के खेतों में इन दिनों पेनिकल माइट और भूरे माहू का प्रकोप बढ़ गया है। किसानों को सलाह देने के लिए मंगलवार को कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग की टीम ने विकासखंड धरसींवा और अभनपुर के ग्रामों का निरीक्षण-भ्रमण किया गया। निरीक्षण के दौरान धरसींवा विकासखंड के गांव निलजा और जरौदा में धान की फसल में पेनिकल माइट का प्रकोप देखा गया।

पेनिकल माइट से प्रभावित कृषकों को उपचार के लिए वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक डा. बी.पी. कतलम और डा. विकास सिंह ने सलाह दी। उन्होंने कहा कि इसके उपचार के लिए फसल में स्पायरोमेसिफेन 22.9 प्रतिशत एस.सी. 150 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। अगले वर्ष नया बीज उपयोग करें।

छछानपैरी में भूरा माहू का दिखा प्रकोप

इधर अभनपुर विकासखंड के ग्राम छछानपैरी में धान की फसल में भूरा माहू से प्रभावित होने की सूचना प्राप्त होने पर प्रभावित खेतों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान भूरा माहू का प्रकोप देखा गया, जिसके उपचार के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 1.5 प्रतिशत, फिप्रोनिल 3.5 प्रतिशत एस.सी. 20 मिली प्रति पंप या 500 मिली प्रति हेक्टेयर अथवा इमिडाक्लोरप्रिड 6 प्रतिशत, लेम्डा साइलोथ्रिन 4 प्रतिशत एसएल 120 मिली प्रति एकड़ छिड़काव करने को सुझाव दिया गया।

कृषि रसायनों को छिडकाव के समय अपनाई जाने वाली सावधानियों के संबंध में कृषकों को अवगत कराया गया कि एक ही ग्रुप के रसायनों का छिड़काव नहीं करना चाहिए और छिड़काव करते समय पेट भरा हो, हाथ से दस्ताने का उपयोग, मुंह में कपड़ा बंधा हो व हवा की दिशा में छिड़काव करने संबधी सावधानियां बरतनी चाहिए।

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स्रोत: Nai Dunia