न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था लागू करने को कमेटी बनाने के एलान से किसानों को दिखी उम्मीद की किरण

November 22 2021

किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था लागू की गई थी। अगर कभी फसलों की कीमत बाजार के हिसाब से गिर भी जाती है, तब भी केंद्र सरकार तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही किसानों से फसल खरीदती है। ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके। परंतु एमएसपी प्रभावशाली ढंग से जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पाई है, जिसके कारण किसानों को अपनी फसल कई बार व्यापारियों के लगाए दाम पर बेचनी पड़ रही है। पीएम मोदी ने शुक्रवार को एमएसपी को प्रभावशाली ढंग से लागू करने की घोषणा कर किसानों को आशा की किरण दिखाई है कि किसानों की फसल को बाजार में भी एमएसपी पर ही बिकने दिया जाएगा। इसके प्रभावशाली ढंग से लागू करने के लिए कमेटी गठित की जाएगी, जिससे लोगों को राहत मिलेगी।

किसी फसल की एमएसपी पूरे देश में एक ही होती है। भारत सरकार का कृषि मंत्रालय, कृषि लागत और मूल्य आयोग (कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस) की अनुशंसाओं के आधार पर एमएसपी तय करता है। वर्तमान में इसके तहत अभी 23 फसलों की खरीद की जा रही है। इसमें धान, गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन, तिल और कपास जैसी फसलें शामिल हैं। लेकिन बाजार में व्यापारी फसलों को एमएसपी से कम दाम पर खरीदते हैं।

पिछले साल किसानों को मक्का का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 40-50 फीसदी कम मिला। किसानों ने 1000-1,150 रुपये प्रति क्विटंल तक मक्का बाजार में बेचा, जबकि केंद्र सरकार की तरफ से मक्का का एमएसपी 1,850 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इस तरह से पंजाब में कपास भी एक हजार रुपये के करीब कम एमएसपी पर बाजार में बिकी। कपास का एमएसपी 5825 रुपये निर्धारित था, लेकिन किसानों को कपास 4500 रुपये प्रति क्विंटल बेचनी पड़ी।

दरअसल, किसानों की हित की रक्षा करने के लिए देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार फसलों की खरीद करती है। इसके पीछे सरकार का मकसद किसानों को उनकी फसल का लागत से ऊपर मूल्य प्रदान करना है, ताकि उनकी फसल की लागत के साथ ही उन्हें न्यूनतम लाभ भी मिल सके। किसानों के हालात उस स्थिति में बिगड़ जाते हैं तब बिचौलिये या व्यापारी उनकी फसल को गांव में ही कम दामों पर खरीद कर उन्हें ऊंचे दामों पर बेचते हैं। कई बार तो बिचौलिये मजबूरी का इतना फायदा उठाते हैं कि किसान को फसल पर लगी लागत भी निकालना मुश्किल हो जाता है। इसी बात को ध्यान में रखकर सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था की है, ताकि उन्हें कम दाम पर अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर न होना पड़े।

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स्रोत: Amar Ujala