देश में रबी बोनी 664 लाख हेक्टेयर पार

January 20 2022

देश में रबी फसलों की बोनी 664 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में कर ली गई है। जो पिछले साल की तुलना में लगभग 8 लाख हेक्टेयर अधिक है। क्योंकि गत वर्ष 656 लाख हेक्टेयर में बोनी हुई थी। इसमें गेहूं की बोनी अब तक 336.48 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि गत वर्ष इस अवधि में 340.74 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया था। वहीं दलहनी फसलों का रकबा गत वर्ष के समान हो गया है। जबकि तिलहनी फसलों के रकबे में बढ़ोत्री हुई है। सरसों के क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि हुई है तथा मोटे अनाजों के रकबे में कुछ कमी बनी हुई है।

कृषि मंत्रालय भारत सरकार के मुताबिक अब तक देश में 664.59 लाख हेक्टेयर में रबी फसलें बोई गई हैं। जबकि गत वर्ष इस अवधि में 656.44 लाख हेक्टेयर में फसलें ली गई थी। ज्ञातव्य है कि रबी फसलों का सामान्य क्षेत्र 625.14 लाख हेक्टेयर है। देश में गेहूं के रकबे में गत वर्ष की तुलना में लगभग 4.26 लाख लेक्टेयर की कमी है। अब तक गेहूं 336.48 लाख हेक्टेयर में बोया गया है। जबकि गत वर्ष अब तक 340.74 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बोनी हो गई थी। वहीं सामान्य क्षेत्र 303.06 लाख हे. है।

वहीं मोटे अनाजों की बुवाई 47.82 लाख हेक्टेयर में कर ली गई है जबकि गत वर्ष समान अवधि में मोटे अनाज 48.91 लाख हेक्टेयर में बोये गये थे इसमें अब तक ज्वार 23.85, मक्का 16.66 एवं जौ 6.72 लाख हे. में बोया गया है।

देश में दलहनी फसलों की बुवाई अब तक 160.20 लाख हेक्टेयर में हुई है। जबकि गत वर्ष 160.13 लाख हेक्टेयर में दलहनी फसलें बोयी गई थी। इसमें चने की बुवाई 111.61 लाख हे. में हो गई है। जबकि गत वर्ष अब तक 107.78 लाख हेक्टेयर में चने की बोनी की गई थी। चने का सामान्य क्षेत्र 95.66 लाख हे. है। इसी प्रकार मटर की बोनी 9.92 लाख हेक्टेयर में एवं मसूर 17.32, कुल्थी 3.53, उड़द की बोनी 6.90 लाख हेक्टेयर में हुई है।

देश में तिलहनी फसलों का रकबा तेजी से बढ़ा है अब तक 100.27 लाख हेक्टेयर में तिलहनी फसलें बोयी जा चुकी हैं जो गत वर्ष की तुलना में लगभग 17.93 लाख हेक्टेयर अधिक है क्योंकि गत वर्ष अब तक 82.34 लाख हेक्टेयर में तिलहनी फसलें बोयी गई थीं।

देश की प्रमुख तिलहनी फसल सरसों की बुवाई गत वर्ष की तुलना में लगभग 17.52 लाख हेक्टेयर अधिक है। अभी तक 90.45 लाख हे. में सरसों की बुवाई हो गई है। जबकि गत वर्ष इस अवधि में 72.93 लाख हेक्टेयर में सरसों बोई गई थी।

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स्रोत: Krishak Jagat