दुनियाभर में खादों के दाम सेट करेगा भारत, बस 2024 का करें इंतजार

January 14 2023

देश के उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने बड़ी बात कही है. उनका कहना है कि दुनिया में खादों का दाम भारत सेट करेगा, बस 2024 का इंतजार कीजिए. यानी अगले साल से भारत के हिसाब से दुनिया के देशों में खाद के दाम निर्धारित होंगे. गौर हो कि कुछ दिन पहले उर्वरक मंत्री ने दुनिया को इस बात का संदेश दे दिया था कि भारत बहुत जल्द खादों के मामले में आत्मनिर्भर होने जा रहा है. डॉ. मंडाविया ने याद दिलाया था कि आपदा के वक्त भारत ने दुनिया के कई देशों की मदद की, लेकिन जब उसे खाद की जरूरत पड़ी तो देशों ने महंगे रेट पर सप्लाई किए. इस तरह कई देशों ने आपदा में अवसर तलाश लिए. अब भारत खादों के वैकल्पिक स्रोत पर काम कर रहा है और बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है.
भारत अभी दुनिया का सबसे बड़ा खाद उपभोक्ता है, लेकिन 2024 से वह दाम सेट करने वाला देश होगा. अभी कुछ ही देश ऐसा काम करते हैं जिनमें भारत भी एक होगा. सिंगल सुपर फॉस्फेट पर आधारित नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में डॉ. मंडाविया ने कहा, अभी दुनिया के बड़े देश खाद के दाम निर्धारित करते हैं. लेकिन 2024 से भारत दुनिया में खाद के दाम सेट करेगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा, हमने दुनिया के बड़े-बड़े सप्लायर से कहा है कि भारत वैकल्पिक खाद की आपूर्ति करेगा. भारत ने डाई अमोनियम फॉस्फेट यानी कि DAP के क्षेत्र में ऐसा किया है. भारत ने डीएपी की जगह पर एसएसपी को प्रमोट किया है. हम इसे सुनिश्चित करेंगे कि किसानों को खाद की कमी नहीं हो.
डॉ. मंडाविया ने कहा, हमने कंपनियों से कहा कि एक खास सीमा के बाद डीएपी का आयात न करें और इसका नतीजा हुआ कि दुनिया में डीएपी के भाव गिरने लगे. इस महीने हम डीएपी के दाम 650 डॉलर से भी नीचे ले आएंगे. मार्च अंत तक डीएपी के दाम पहले वाले भाव पर गिर जाएंगे. यानी मार्च अंत तक डीएपी का दाम वही होगा जो रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले था.
नवंबर 2022 में आयात किए गए डीएपी का दाम 743 डॉलर प्रति टन रहा जबकि जुलाई में यह दाम 945 डॉलर था. पहले डीएपी का आयात 336 डॉलर पर हो रहा था जहां से दाम अपने उच्च स्तर पर पहुंच गए. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुनिया की कई बड़ी कंपनियों ने भारत की कंपनियों के साथ तीन साल के करार पर दस्तखत किया है. यह करार निश्चित सप्लाई के लिए किया गया है. दुनिया की कंपनियों को लगता है कि भारत अगर पीछे हटा तो खाद की मांग नहीं बन सकती. अगर कोई देश भारत को सप्लाई से मना करता है, तो स्थिति ये होनी चाहिए कि दो देश सप्लाई के लिए खुद आगे आ जाएं.
भारत में सिंगल सुपर फॉस्फेट यानी कि SSP का उत्पादन तेजी से हो रहा है. इसका निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. खाद मंत्री ने एसएसपी बनाने वाली कंपनियों से कहा कि पड़ोसी देशों में सप्लाई के उपायों पर गौर किया जाए. सरकार निर्यात की सुविधाएं बढ़ाएगी. देश की 101 फैक्ट्रियों में 120 लाख टन एसएसपी बनाने का लक्ष्य तय किया गया है जिसमें 2022-23 में 55-56 लाख टन निर्माण का अनुमान है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि एसएसपी की मांग कम है. अगर विदेशों से मांग तैयार हो तो देश में एसएसपी बनाने का काम तेज हो जाएगा.
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स्रोत:Kisan Tak