त्योहारी सीजन से पहले ही गेहूं की कीमत 8 महीने के अपने सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। ऐसे में फूड इन्फ्लेशन बढ़ने की आशंका एक बार फिर से बढ़ गई है। वहीं, व्यापारियों का कहना है कि इंपोर्ट ड्यूटी की वजह से विदेशों से खाद्य पदार्थों का आयात प्रभावित हो रहा है। इससे सरकार के ऊपर इपोर्ट ड्यूटी हटाने को लेकर दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को महंगाई नियंत्रित करने के लिए समय- समय पर सरकारी स्टॉक से भी गेहूं और चावल जैसे खाद्य पदार्थ को जारी करना पड़ रहा है।
गई है, जिससे कीमतें 8 महीने के अपने सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। अगर कीमतों में बढ़ोतरी का यह हाल रहा तो, आने वाले दिनों में खुदरा महंगाई और भी बढ़ सकती है। क्योंकि, गेहूं एक ऐसा अनाज है, जिससे कई तरह के खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं। अगर गेहूं की कीमत में बढ़ोतरी होती है तो स्वाभाविक सी बात है कि ब्रेड, रोटी, बिस्कुट और केक सहित कई खाद्य पदार्थ महंगे हो जाएंगे।
भारत सरकार द्वारा गेहूं पर 40% इंपोर्ट ड्यूटी
ष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गेहूं की कीमत में मंगलवार को 1.6% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इससे गेहूं का रेट थोक मार्केट में 27,390 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच पर पहुंच गया, जोकि 10 फरवरी के बाद का उच्चतम स्तर है। कहा जा रहा है कि पिछले छह महीनों के दौरान गेहूं की कीमतें लगभग 22% बढ़ी हैं। दरअसल, भारत सरकार ने गेहूं पर 40% इंपोर्ट ड्यूटी लगाई है, जिसे हटाने या कम करने की कोई तत्काल योजना नहीं दिखाई दे रही है।
इससे खाद्य पदार्थों की कीमत में गिरावट आएगी
वहीं, 1 अक्टूबर तक सरकारी गेहूं स्टॉक में महज 24 मिलियन मीट्रिक टन ही गेहूं का भंडार था, जो पांच साल के औसतन 37.6 मिलियन टन की तुलना में काफी कम है। हालांकि, केंद्र ने फसल सीजन 2023 में किसानों से 26.2 मिलियन टन गेहूं की खरीदारी की है, जो लक्ष्य 34.15 मिलियन टन से कम है। वहीं, केंद्र सरकार का अनुमान है कि फसल सीजन 2023-24 में गेहूं उत्पादन 112.74 मिलियन मीट्रिक टन होगा। इससे खाद्य पदार्थों की कीमत में गिरावट आएगी।