ज्वार व बाजरा के पंजीयनों की जांच शुरू, किसानों के घर देखा जा सकता है कितनी फसल रखी

October 18 2021

Gwalior Agriculture News: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। मानसून की बारिश देर से होने से किसान ज्वार बाजरा की फसल नहीं बोवनी नहीं कर पाए थे। जिले की जमीन ने ज्वार व बाजरा नहीं उगला है, लेकिन पंजीयन बंपर हुए हैं। पिछले साल की तुलना में ज्वार व बाजरा के 3679 पंजीयन अधिक हुए है, जिसमें 2514 ज्वार व 1165 बाजरा के अधिक पंजीयन हुए हैं। राजस्व विभाग व खाद्य विभाग के अधिकारियों ने ज्वार बाजरा के पंजीयनों की जांच शुरू कर दी है। बनवार साख सहकारी समिति पर हुए बाजरा व ज्वार के पंजीयनों की जानकारी ली। अब राजस्व अमला व समितियों काा स्टाफ किसानों के घर बाजरा देखने जा सकते हैं। इससे बिचौलियों की टेंशन बढ़ गई है, उन्होंने फर्जीवाड़ा कर ज्वार व बाजरा के पंजीयन कराए हैं। यदि किसान के घर यह फसल नहीं मिली तो पंजीयन निरस्त होगा। फर्जीवाड़ा करने वाले खिलाफ कार्रवाई भी सकती है। इसके अलावा अन्य समितियों पर हुए पंजीयनों का भी रिकार्ड खंगाला जा रहा है। इसमें एक बड़े फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है।

ज्वार व बाजरा पर दो गुनी कमाई

वर्मतान में मंडी में ज्वार 1450 से 1600 रुपये क्विंटल बीच चल रही है। जबकि बाजरा 1500 रुपये क्विंटल तक बिक रहा है। समर्थन मूल्य व मंडी भाव में काफी अंतर है। ज्वार में दुगना अंतर है। बाजरा में 750 रुपये का अंतर है।

उत्तर प्रदेश व राजस्थान की मंडियों से ज्वार बाजरा खरीदकर जिले में बेचा जाता है। इससे एक मौटी कमाई होती है। बिचौलियों के फर्जीवाड़े से सरकार के खजाने पर लोड पड़ता है।

डबरा व भितराव के व्यापारियों ने किसानों की जमीनों पर फर्जीवाड़ा कर पंजीयन कराए हैं।

समितियों पर कंप्यूटर आपरेटर का कार्य करने वाले आपरेटर भी इसमें लिप्ट है। किसानों अपनी जमीन का दस्तावेज छोड़कर जाते हैं, पंजीयन नहीं होने का हवाला देते हैं, उसके बाद अपने स्वजन के नाम फर्जी पंजीयन कर लेते है।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: Nai Dunia