जैविक खेती का पाठ पढ़ रहे अन्नदाता, सुधर रही माटी की सेहत

December 07 2021

छत्तीसगढ़ के किसान जैविक खेती का पाठ पढ़कर भूमि की सेहत को सुधारने में लगे हुए हैं। इसके लिए विशेष पहल की है इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने। विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किसानों को लगातार जैविक खेती के गुर सिखाए जा रहे हैं। इसका असर अब खेतों पर भी दिखने लगा है। कृषि विज्ञानियों की मानें तो अधिक उत्पादन लेने की चाह में किसान मनमानी तरीके से रासायनिक खादों का उपयोग करने लगे।

इसका परिणाम यह हुआ कि मिट्टी का पोषक तत्व घटने के साथ ही पैदावार भी बढ़ने के बजाय कम होने लगी। ऐसे में किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों में जैविक खेती शुरू की गई है। कोरोना काल में भी विवि की ओर से किसानों को आनलाइन खेती का पाठ भी पढ़ाने की व्यवस्था शुरू की गई। विवि से 200 किसान सीधे जुड़ गए हैं।

उन्होंने रासायनिक खाद से दूरी बनाकर बेहतर उत्पादन लेना शुरू कर दिया है। अब ये प्रशिक्षित किसान आस-पास के दूसरे किसानों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं। कृषि विवि के एग्रोनामिस्ट और मुख्य अन्वेषक डा. एमसी भाम्बरी ने बताया कि जैविक खेती में प्रदेश के हर जिले से 200 किसानों ने प्रशिक्षण लिया है और यह इसको बढ़ा रहे हैं।

रायपुर से लगे आरंग विकासखंड के गांव पचेड़ा, चरोद के 480 किसानों ने जैविक फसल को अपनाया। प्रथम चरण में किसान 500 हेक्टेयर में सुगंधित और एरोमेटिक धान की फसलें लगाई जा चुकी है। इसी तरह से आसपास के क्षेत्रों में किसानों को जागरूक के साथ प्रशिक्षण किया जा रहा है।

वनांचल कोंडागांव के फरसगांव के भुमका, पासंगी, चिचाड़ी, भंडारसिवनी और पतोड़ा के किसानों ने जैविक तरीके से बासमती धान का उत्पादन शुरू किया है, वहीं 50 किसानों को बासमती धान उत्पादन के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अलावा इस सालग्राम पतोड़ा, भुमका, आलोर के किसानों ने पहली बार श्रीविधि से जायद में रागी फसल लगाई है।

महासमुंद के ब्लाक बागबाहरा को जैविक ब्लाक कहा जाने लगा है। यहां जैविक खेती मिशन के तहत 50 एकड़ में धान और उड़द की खेती की जा रही है। समय-समय पर विवि के कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा इन चयनित ग्रामों में जैविक खेती पर कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा जबलपुर के बोरलाग इंस्टीट्यूट आफ साउथ एशिया और इंदौर के जैविक कृषि संस्थान में भ्रमण कार्यक्रम भी कराया जा चुका है।

रायपुर से लगे दुर्ग जिला के अंतर्गत आने वाले पाटन विकासखंड के ग्राम अरसनारा के किसान गुरुदेव साहू जैविक पद्धति से सुगंधित धान के किस्म जयगुंडी की खेती एक एकड़ में शुरू की। इसके बाद उनसे प्रेरित होकर गांव के 40 किसान परिवारों ने अब जैविक पद्धति की खेती में गौमूत्र, गोबर और कुछ विशेष प्रकार की पत्तियों का उपयोग करके खेती शुरू की है।

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स्रोत: Nai Dunia