छत्तीसगढ़ के औषधीय पौधों में विशेष गुणों की पहचान हेतु होगा अनुसंधान

August 02 2021

छत्तीसगढ़ राज्य के वनों में पाए जाने वाले औषधीय पौधों के गुणों का विश्लेषण एवं प्रमाणीकरण करने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान, मुम्बई द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को एक परियोजना स्वीकृत हुई है। इस परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले महत्वपूर्ण औषधीय पौधों के रासायनिक तत्वों पर अनुसंधान कार्य करते हुए वैज्ञानिक तरीके से औषधीय पौधों में पाये जाने वाले विशेष तत्वों की खोज एवं प्रमाणीकरण किया जाएगा।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रदत्त इस परियोजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले महत्वपूर्ण औषधीय पौधें जैसे बच, मामफल, केऊकन्द, चरोटा, काली मूसली, तिखुर, कालमेघ एवं अन्य महत्वपूर्ण औषधीय पौधों को छत्तीसगढ़ के तीनों जलवायविक क्षेत्रों सरगुजा, बस्तर एवं मैदानी क्षेत्रों से एकत्रित किया जायेगा और पौधों में पाए जाने वाले रासायनिक तत्वों का विश्लेषण किया जायेगा। अनुसंधान कार्याें से यह पता लगाया जाएगा कि विभिन्न जलवायविक परिस्थितियों में रासायनिक तत्वों में क्या बदलाव आता है और कौन से क्षेत्र के किन पौधों में औषधीय रूप से महत्वपूर्ण रासायनिक तत्व ज्यादा पाए जाते है। इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन हेतु डॉ एस.एस. टुटेजा को प्रमुख अन्वेषक तथा सह- अन्वेषक डॉ एस.एल. स्वामी एवं डॉ. धर्मेन्द्र खोखर का बनाया गया है। परियोजना में अनुसंधान कार्य भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान के डॉ. ए.के. बौरी के मार्गदर्शन में किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वद्यिालय के औषधीय सगंध पौध एवं अकाष्ठीय वनोपज उत्कृष्ठता केन्द्र, रायपुर में औषधीय एवं सगंध पौधों अनुसंधान एवं विस्तार कार्य किया जाता है साथ ही साथ उन्नत जातियों की पौध सामग्री तैयार की जाती है। कृषि विश्वविद्यालय में औषधीय उद्यान भी तैयार किया गया है जिसमें विभिन्न प्रकार के लगभग 200 किस्मों के औषधीय एवं सगंध पौधों को लगाया गया है।

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स्रोत: Krishak Jagat