चिन्नौर चावल चमका, मिला जी.आई. टैग

October 07 2021

चिन्नौर सुगंधित चावल की न सिर्फ बालाघाट जिले में बल्कि समूचे देश में मांग रहती है। बालाघाट जिले मे चिन्नौर सुगंधित धान परम्परागत तरीके से प्राचीन समय से उगाई जा रही है। अब बालाघाट जिले की चिन्नौर चावल को जी.आई. टैग मिल गया है। यह मध्यप्रदेश की कृषि क्षेत्र की पहली जिंस है, जिसे जी.आई. टैग मिला है। मध्यप्रदेश शासन बालाघाट जिले की चिन्नौर को एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत व्यवसायिक तौर पर प्रमोट कर रहा है। जी.आई. टैग मिलने से बालाघाट जिले को एक नई पहचान मिल गई है।

चिन्नौर का चिकनाई युक्त, नोकदार – चावुर, सुगंधित चिन्नौर का चावल अपने नाम में ही अपनी विशेषता रखता है। चिन्नौर के दाने के शीर्ष भाग की आकृति तलवार की नोक के समान है। इस चावल की किस्म का स्वाद बहुत ही अनोखा है। चिन्नौर का चावल सुपाच्य होने के कारण ज्यादा रूचि के साथ खाया जाता है। बालाघाट जिले के गांवों में लोग अनेक वर्षो से चिन्नौर धान की खेती कर रहे है। परंपरागत तरीके से चली आ रही खेती मे पर्याप्त उत्पादन नही मिल पा रहा था। उत्पादन प्रभावित होने के साथ ही चिन्नौर के साथ अन्य सुगंधित व असुगंधित धान मिश्रित हो गऐ थे। गाढ़ी मेहनत कर उत्पादित चिन्नौर के मार्केटिंग की सही व्यवस्था न हो पाने के कारण बालाघाट के लोग कम कीमत में ही अपनी उपज बेचने में मजबूर रहतें थे। परन्तु जी.आई. का प्रमाण पत्र मिल जाने पर बालाघाट के चिन्नौर की पहचान राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर हो जायेगी। जी.आई. टैग मिलने से अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग बढ़ेगी और किसानों को अच्छा मूल्य मिल सकेगा।

दक्षिण पूर्व एशिया में मीठी महक वाले तथा छोटे दाने वाले चावल बेहद लोकप्रिय हैं। साथ ही धान की अन्य किस्मों के चोकर (राईस ब्रान) में तेल का प्रतिशत 18-19 प्रतिशत है जबकि चिन्नौर धान के चोकर में तेल का प्रतिशत 20-21 प्रतिशत है, और इसलिये चांवल की भूसी का तेल (राईस ब्रॉन आईल) भी एक मूल्य वर्धित उत्पाद है।

क्या है जी.आई. टैगिंग

यह भारत में भौगोलिक संकेतों को कानूनी सुरक्षा प्रदान कर निर्यात को बढ़ावा मिलने से उत्पादकों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देता है। यह दूसरों के द्वारा पंजीकृत भैगोलिक संकेतकों के अनाधिकृत उपयोग को रोकता है। यह अन्य विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों में कानूनी सुरक्षा प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उत्पाद की ब्राण्ड वैल्यू ज्यादा हो जाती है जिससे बाजार मूल्य में कई गुना वृद्धि होती है।

मीठी महक और छोटे दाने

बालाघाट जिले में लगभग 2700 किसानों द्वारा 1525 हेक्टेयर में चिन्नौर धान की पारम्परिक रूप से खेती कर अनुमानित 1980 टन धान का उत्पादन लिया जा रहा है, जिससे लगभग 1000 टन चिन्नौर चावल का उत्पादन कर विश्व स्तर पर विपणन किया जाता है।

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स्रोत: Krishak Jagat