चावल उद्यमियों का सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम

December 11 2021

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के निर्देश पर प्रदूषण को कम करने के लिए उद्योगों पर लगाए गए प्रतिबंध चावल उद्योग के लिए असहनीय होते जा रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में करीब पांच सौ से अधिक राइस मिलें चार दिनों से बंद हैं, जिसमें हर रोज करीब 80 करोड़ रुपये की बिक्री का नुकसान हो रहा है।

इसे लेकर हरियाणा राइस एक्सपोर्र्ट्स एसोसिएशन ने बैठक की। जिसमें कहा गया कि राइस मिलों में प्रयोग होने वाला छिलका ईंधन जैविक है। सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम देते कहा कि सरकार बताए कि छिलका ग्रीन फ्यूल (जैविक ईंधन) है या नहीं। यदि जैविक ईंधन है तो वह अपना राइस मिल बंद नहीं करेंगे। सरकार ने प्रतिबंधों को वापस नहीं लिया तो एसोसिएशन सख्त आंदोलनात्मक निर्णय लेने पर बाध्य होगी।

सबसे पहले ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्र्ट्स एसोसिएशन के पूर्व प्रधान विजय सेतिया ने थाईलैंड में हुए अध्ययन की वह रिपोर्ट पेश की, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि प्राकृतिक गैस से 570 किलोग्राम/ मेगावाट, जबकि धान के छिलके से सिर्फ 17.6 किलोग्राम/मेगावाट कार्बन का उत्सर्जन होता है।

यूएनओ ने धान के छिलके को ग्रीन फ्यूल घोषित किया है। जब यह प्रमाणित है तो राइस मिलों को क्यों बंद कराया गया। भले ही कमेटी ने सप्ताह में पांच दिन तक आठ-आठ घंटे संचालन व दो दिन की पूर्ण बंदी का आदेश दिया हो लेकिन चावल उत्पादन की एक बार की प्रक्रिया ही 24 घंटे की है, इसलिए मिल को आठ घंटे के बाद बंद करना संभव नहीं है, यही कारण है कि सभी राइस मिल बंद हो गईं हैं।

देश में 35000 करोड़ के चार मिलियन टन का चावल निर्यात होता है, इसमें 22000 करोड़ का निर्यात सिर्फ एनसीआर से होता है। दिल्ली की केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण कमेटी में ऐसे लोग हैं, जिन्हें उद्यमों का व्यावहारिक ज्ञान नहीं है। उन्होंने खुद को बचाने के लिए उद्योग विरोधी आदेश जारी कर दिए हैं। इन्हें वापस लेना ही होगा।

हरियाणा राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रधान सुशील जैन ने कहा कि जिन्होंने नए बॉयलर लगाए हैं, वह बंद है। करीब 500 से अधिक राइस मिलें बंद हैं, जिनमें करीब दो लाख श्रमिक खाली बैठे हैं, बैंकों का ब्याज बढ़ रहा है। राइस मिलों की चिमनियों पर डिजिटल मीटर लगे हैं। इनसे प्रदूषण फैलता नहीं बल्कि प्रदूषण कम होता है।

करनाल में हर रोज 55 करोड़ व एनसीआर में करीब 80 करोड़ का नुकसान हो रहा है। निर्यातकों के ऑर्डर पूरे नहीं हो पाएंगे। अब राइस मिलर्स इसे लेकर आरपार की लड़ाई लड़ेंगे। शीघ्र सीएम से भी मिलेंगे। हरियाणा राइस एवं डीलर्स एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद कुमार गोयल ने राइस मिल बंद है, सीएमआर की समय पर आपूर्ति कैसे होगी, इसके लिए दिसंबर की आपूर्ति को जून तक बढ़ाया जाना चाहिए।

इसमें ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के उप प्रधान सतीश गोयल, सचिव देवेंद्र सिंगला, तरावड़ी के प्रधान नरेश बंसल ने भी विचार रखे। प्रमोद बंसल, नरेश बंसल, जयकिशन गोयल, ईश्वर गोयल, नरेश मेहता, राजिंद्र रहेजा, डा. अनिल, राकेश हंस, राजेश गोयल मौजूद रहे।

सरकारी फरमान चावल उद्योग को डुबो देगा

करनाल। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेशों के खिलाफ उतरे राइस मिलर्स के समर्थन में हरियाणा स्टेट अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन भी उतर आई है। स्टेट चेयरमैन रजनीश चौधरी ने कहा कि राइस मिल में बारीक धान का चावल तैयार करने की 24 घंटे की प्रोसेसिंग होती है। 8 घंटों में स्टीम चावल तैयार करना संभव नहीं है। सरकार का यह फरमान इस व्यापार को डुबो कर रख देगा। राइस मिल को चलाने के लिए जो नया नियम लागू किया है इसे जल्द से जल्द वापस लें नहीं तो राइस मिल उद्योग पूरी तरह से तबाह जाएगा।

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स्रोत: Amar Ujala