चावल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कोर्टेवा एग्रीसाइंस ने किया समझौता

July 27 2021

उत्तर प्रदेश में 40,000 एकड़ में धान की टिकाऊ खेती के लिए वैश्विक कृषि फर्म कोर्टेवा एग्रीसाइंस ने 2030 वाटर रिसोर्सेज ग्रुप के साथ तीन साल की परियोजना के लिए समझौता किया है। यह परियोजना कॉर्टेवा, 2030 वाटर रिसोर्सेज ग्रुप और कई हितधारकों की एक टास्क फोर्स को धान की रोपाई के पारंपरिक तरीकों से बीज रोपड़ विधि में बदलने की दिशा में काम करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है।

कोर्टेवा एग्रीसाइंस का उद्देश्य

यह तीन साल की परियोजना है जो किसानों की सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एवं कृषि क्षेत्र में स्थायी आजीविका को बढ़ावा देगी, साथ ही विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों, क्षेत्र प्रदर्शन सत्रों, बाजार लिंकेज, बाजार आधारित स्थिरता, वित्तपोषण और कृषि विज्ञान सहायता के माध्यम से धान की खेती की डीएसआर तकनीक पर किसानों की क्षमता का निर्माण करेगी।

इसके अलावा परियोजना कोर्टेवा किसानों को संकर बीज और मशीनीकृत बुवाई सेवाओं के साथ-साथ मिट्टी परीक्षण और खेतों में खरपतवार और कीटों के प्रबंधन में भी मदद करेगा।

बता दें कि इन प्रथाओं को लागू करने से धान की खेती में पानी के उपयोग में 35-37 प्रतिशत की कमी के अलावा, बेहतर मिट्टी स्वास्थ्य और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 20-30 प्रतिशत तक कमी आ सकती है, जिससे राज्य में जलवायु लचीला सटीक कृषि-वानिकी का समर्थन हो सकता है।

कोर्टेवा एग्रीसाइंस का डब्ल्यूआरजी के साथ सहयोग

कोर्टेवा एग्रीसाइंस के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी टिम ग्लेन के अनुसार, किसान उत्पादक संगठनों की क्षमता को टिकाऊ और बाजार-उन्मुख कृषि-उद्यमों के रूप में संचालित करने में मदद करने के लिए कोर्टेवा एग्रीसाइंस ने डब्ल्यूआरजी के साथ सहयोग किया है। इसके अलावा, कोर्टेवा एग्रीसाइंस चावल उत्पादन में स्थिरता के परिणामों को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार का भी समर्थन करेगा।

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स्रोत: Krishi Jagran