गेहूं की रोग रोधी किस्म डीबीडब्ल्यू 303 है किसानों की पहली पसंद

October 25 2021

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान में गेहूं के बीजों का वितरण जारी हो चुका है। फर्जीवाड़ा से बचने के लिए अधिकतर किसान अन्य जगहों से बीज लेने के वजाए अनुसंधान केंद्र से बीज खरीदना पसंद करते हैं। ऐसे में गुरुवार को बीज लेने के लिए काफी संख्या में किसान अनुसंधान केंद्र पर जमा हो गए, जिनमें हरियाणा से सटे राज्य पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व मध्य प्रदेश से भी किसान वहां पहुँच चुके थे। सुबह से ही बीज लेने के लिए किसानों की लम्बी कतार लगी हुई थी। संस्थान की तरफ से गेहूं की वैरायटी डीबीडब्ल्यू-303, डीबीडब्ल्यू-187 व डीबीडब्ल्यू-222 का वितरण किसानों के बीच किया  गया।

किसानों की बड़ी संख्या को देखते हुए प्रति किसान 10 किलोग्राम ही बीज दिया जा रहा है। आपको बता दें बीज उन्हीं किसानों को दिया गया जिन्होंने पोर्टल पर पहले ही अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया था। संस्थान के निदेशक डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि करीब 17 हजार किसानों ने पोर्टल पर बीज लेने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया था। अभी तक करीब 80 फीसद गेहूं का बीज मुहैया करा दिया गया है।

कौन-सी बीज का बढ़ा डिमांड

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान में गेहूं बीज के वितरण के दौरान तीनों वैरायटियों में सबसे ज्यादा डिमांड 303 की है। यह नई वैरायटी है और 80 फीसदी किसान इसकी डिमांड कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान इस बीज से अगले साल के लिए अपना खुद का बीज तैयार कर सकेंगे। प्रगतिशील किसान अक्सर ऐसा करते हैं।

क्यों है डीबीडब्ल्यू 303 की डिमांड

यह बीज़ उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों के लिए उत्तम है। यहां पर तैयार की गयी हर बीज को जगह और वहां के वातावरण के अनुकूल विकसित किया जाता है। विश्व खाद्य दिवस पर संस्थान की इस वैरायटी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित करते हुए इसकी प्रशंसा भी की थी। उन्होंने बताया कि यह अगेती किस्म है।

किसानों को जानकारी देते हुए कहा की किसान भाई इसकी बुआई 25 अक्टूबर के बाद से कर सकते हैं. इसका औसत उत्पादन 81.2 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 12.1 प्रतिशत पाई जाती है। यानि गुणवत्ता युक्त रोटी बनती है। 156 दिनों में यह वैरायटी हमारे लिए तैयार हो जाती है। खास बात यह भी है कि यह पीला, भूरा व काला रतुआ रोधी किस्म है।

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स्रोत: Krishi Jagran