गेहूं की चार किस्में विकसित, इंदौर के कृषि विज्ञानियों ने लंबे शोध के बाद किया तैयार

February 02 2023

इंदौर में कृषि विज्ञानियों ने गेहूं की एक साथ चार नई किस्में विकसित की हैं, जो पैदावार में अव्वल रहने के साथ ही पोषण से भी भरपूर होंगी। इनका नाम पूसा ओजस्वी, पूसा हर्षा, पूसा पौष्टिक और पूसा कीर्ति है। लंबे शोध के बाद इन किस्मों को मध्य भारत क्षेत्र के लिए तैयार किया गया है। पूसा पौष्टिक प्रायद्वीपीय क्षेत्र के लिए भी उपयोगी होगी, जो जल्द ही गेहूं उत्पादक राज्यों के खेतों में लहलहाती दिखेगी।भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के इंदौर स्थित क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र में गेहूं की चार प्रजातियों को विकसित किया गया है। इसमें पूसा ओजस्वी व पूसा हर्षा शरबती और पूसा पौष्टिक व पूसा कीर्ति कठिया की किस्में हैं। कृषि विज्ञानी केसी शर्मा का कहना है कि गेहूं की यह प्रजातियां मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान के कोटा, उदयपुर और उत्तर प्रदेश के झांसी संभाग के लिए उपयोगी होंगी। चारों किस्मों की क्वालिटी और पोषण तत्वों की जांच करनाल स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र में पूरी हो चुकी है।नोटिफिकेशन की प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी हो जाएगी। किसानों को आगामी सीजन से यह किस्में उपलब्ध हो सकेंगी। अभी अनुसंधान केंद्र में इसके बीज तैयार किया जा रहे हैं। कुछ किसानों को सैंपल के तौर एक-दो किलो बीज उपलब्ध कराए गए हैं। मोटे तने और कम लंबाई के कारण फसलें जमीन पर नहीं लेटेंगी और खूब पैदावार होगी।

मिलेगा आंखों के लिए उपयोगी तत्व
कृषि विज्ञानी शर्मा का कहना है कि चारों किस्में पोषक तत्वों के कारण महत्वपूर्ण होंगी। इनमें प्रोटीन, जस्ता, लोहा जैसे कई पोषक तत्व रहेंगे, जबकि कठिया की दो किस्में पूसा पौष्टिक और पूसा कीर्ति में पीला वर्णक (यलो पिगमेंट) भी भरपूर मिलेगा। यह तत्व आंखों की रोशनी के लिए उपयोगी रहता है।
नई किस्मों की विशेषताएं
पूसा ओजस्वी :- इसका विज्ञानी नाम एचआइ 1650 है। अधिक सिंचाई वाले क्षेत्र में नवंबर माह में बोई जाएगी। औसत उत्पादन 57 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहेगा। एक हेक्टेयर में 100 किग्रा बीज की बुआई होगी। 90 से 95 सेमी पौधे की ऊंचाई होगी और 115 से 120 दिन में फसल पक जाएगी। 1000 दानों का वजन 45 से 50 ग्राम रहेगा। लंबे आकार का दाना चमकीला और कठोर रहेगा।
पूसा हर्षा : - इसका विज्ञानी नाम एचआइ 1655 है। कम पानी वाले क्षेत्र में 25 अक्टूबर से 25 नवंबर तक बुआई होगी। औसत उत्पादन 38.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहेगा। एक हेक्टेयर में 108 किग्रा बीज बुआई में उपयोग होगा। 90 सेमी पौधे की ऊंचाई होगी और 115 से 120 दिन में फसल पक जाएगी। 1000 दानों का वजन 42 से 47 ग्राम रहेगा। भूरा पीले रंग का दाना चमकीला और थोड़ा कठोर रहेगा।
पूसा पौष्टिक :- इसका विज्ञानी नाम एचआइ 8826 है। अधिक सिंचाई वाले क्षेत्र में 10 से 25 नवंबर के बीच बुआई होगी। औसत उत्पादन 48.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहेगा। एक हेक्टेयर में 100 किग्रा बीज की बुआई होगी। पौधे की ऊंचाई 90 से 95 सेमी रहेगी और 105 से 110 दिन में फसल पक जाएगी। 1000 दानों का वजन 45 से 50 ग्राम रहेगा। दीर्घ वृत्ताकार दाना चमकीला और थोड़ा कठोर रहेगा।
पूसा कीर्ति :- इस किस्म का विज्ञानी नाम एचआइ 8830 है। कम पानी वाले क्षेत्र में 25 अक्टूबर से 10 नवंबर तक बोई जाएगी। औसत उत्पादन 40.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहेगा। एक हेक्टेयर में 113 किग्रा की बुआई होगी। पौधे की ऊंचाई 84 से 86 सेमी रहेगी और 118 दिन में फसल पकेगी। 1000 दानों का वजन 47 से 49 ग्राम रहेगा। दीर्ध वृत्ताकार दाना चमकीला और थोड़ा कठोर होगा।
-मध्य प्रदेश में ड्यूरम गेहूं का क्षेत्रफल पांच से बढ़कर पहुंचा 20 फीसद।
-क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र में अब तक 45 प्रजातियां हो चुकीं विकसित, इसमें 19 मालवी (कठिया) और 26 शरबती गेहूं।
-किसानों को आगामी सीजन से यह किस्में उपलब्ध हो सकेंगी।

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स्रोत:नई दुनिया