गुलाबी सुंडी से कपास की फसल बचाने का पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने निकाला समाधान

July 06 2023

पंजाब के कपास के खेतों को गुलाबी सुंडी  के व्यापक संक्रमण से बचाने के लिए, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के कुलपति डॉ. सतबीर सिंह गोसल ने कहाकि हमने कॉटन बेल्ट में बड़े पैमाने पर निरीक्षण शुरू कर दिया हैं। इसमें उनके साथ विशेषज्ञों की टीम भी है, जिसमें पीएयू के डॉ. अजमेर  सिंह  धट्ट,  साथ ही  कृषि विज्ञानकेंद्र और अनुसंधान स्टेशन के वैज्ञानिक डॉ. परमजीत सिंह, डॉ. विजय कुमार, डॉ. राजिंदर कौर और डॉ. के.एस सेखों आदि शामिल हैं। वही विश्वविद्यालय के कुलपति ने कपास की फसल की स्थिति का आकलन करने की मांग की हैं। 

मानसा जिले के खियाली चेहलांवाली, साहनेवाली, बुर्ज भलाइक, झेरियांवाली, टंडियां और बठिंडा जिले के तलवंडी साबो और सिंगो गांवों के कपास के खेतों में जाकर डॉ. एसएस गोसल ने चिंता व्यक्त की। डॉ. एस गोयल ने गुलाबी सुंडी के मौजूदा खतरे पर टिप्पणी की, यह भयानक कीट, जो उत्तर भारत की कपास की फसलों में पनपने के लिए जाना जाता है यह क्षेत्र के कपास उत्पादकों के लिए एक गंभीर खतरा है। सर्वेक्षण से पता चला कि 60 से 80 दिन की जल्दी बोई गई कपास की फसलें विशेष रूप से अतिसंवेदनशील हैं, जिनमें गुलाबी सुंडी  का संक्रमण 15 प्रतिशत तक पहुंच गया हैं। हालाँकि सामान्य रूप से बोए गए अधिकांश क्षेत्र कीटों से अपेक्षाकृत अप्रभावित रहे हैं, जिनमें सफेद मक्खी, जैसिड, थ्रिप्स और मिलीबग जैसे चूसने वाले कीट नगण्य  हैं। 

डॉ. ए.एस. धट्ट ने कपास किसानों को गुलाबी सुंडी का पता चलने पर सतर्कता और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके साथ ही फ़सल पर दिशानिर्देशों के अनुसार कीटनाशकों का तुरंत छिड़काव करने की बात कही। 

डॉ. विजय कुमार ने गुलाबी सुंडी के लक्षणों के लिए फूलों और कपास के बीजकोषों का निरीक्षण करने के महत्व पर जोर दिया। इस महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने के लिए, उन्होंने किसानों को रोसेट फूलों पर विशेष ध्यान देते हुए, विभिन्न स्थानों से कम से कम 100 फूलों की जांच करने की सलाह दी। यदि गुलाबी सुंडी की उपस्थिति का पता चला है, तो फसल पर 100 ग्राम इमामेक्टिन बेंजोएट 5एसजी (प्रोक्लेम), 500 मिलीलीटर प्रोफेनोफॉस 50ईसी (क्यूराक्रॉन), 200 मिलीलीटर इंडोक्साकार्ब 14.5एससी (एवांट), या 250 ग्राम थियोडिकार्ब 75डब्ल्यूपी ( लार्विन) प्रति एकड़ इस्तेमाल करके संक्रमण से निपटने की सलाह दी । 

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स्रोत: कृषक जगत