गन्ना बेल्ट में फैला कैंसर से भयानक रोग

October 16 2023

यूपी की गन्ना बेल्ट में फैल रहे कैंसर से भयानक रोग न किसानों की चिंता तो बढ़ा ही दी है वहीं गन्ना विभाग और मिल प्रबंधन के माथे पर भी चिंता की लकीरे आ गई हैं। पहली बार चरथावल क्षेत्र में पहली बार इस बीमारी से ग्रस्त गन्ने की फसल चिह्नित की गई है।

उत्तर प्रदेश की गन्ना बेल्ट में पहले मौसम की मार और अब ईख की फसल में लाल सड़न (रेड रॉट) से किसानों में मायूसी छाई है। बाढ़ प्रभावित गांवों में करीब 15 फीसदी खेतों में फसल प्रभावित हुई है। वहीं, पूर्वांचल के बाद क्षेत्र में खेतों में कैंसर से ज्यादा भयानक रोग आने से मिल प्रबंधन भी बेचैन है। गन्ने की प्रमुख प्रजाति सीओ 0238 में पाया गया है।

वेस्ट यूपी में गन्ना बेल्ट में रेड रॉट की बीमारी देखे जाने से विभाग के साथ मिल प्रबंधन ने खेतों को चेक करना शुरू कर दिया है। पानी, हवा मिट्टी और बीज चारों से यह रोग फैलता है। पिछले कई सालों से इस रोग ने पूर्वांचल के जिलों में तबाही मचा रखी है। इस रोग के आने से गन्ने की पत्तियां सूख जाती हैं। अंदर से रस सूखकर लाल दिखने लगता है।

बढ़वार नहीं होती और संक्रमण की तरह आसपास तमाम फसल को बर्बाद करता है। देबवंद मिल के क्षेत्र में 26 क्रय केंद्र है। यूनिट हेड पुष्कर मिश्र ने टीम को गांवों में लगा दिया है। उनका कहना है किसान बीज बदलकर इस रोग से छुटकारा पाएं। कर्मचारी और अधिकारी रोजाना हर गांव में घूमकर सतर्क कर रहा है। दहचंद के किसान श्रवण शर्मा, मुनेश उपाध्याय, नगला राई के अहमद मियां, आसिफ और छिमाऊ के मुकेश कहते हैं कि बेमौसम बारिश ने ईख की फसल को 30 प्रतिशत तक प्रभावित किया।

सर्वे में इन गांवों में पाई गईं बीमारी

पहली बार जिले के चरथावल के गांव मुथरा में धर्मपाल और जान सिंह एवं चौकड़ा में अनिल और प्रवेश, छिमाऊ के कंवर पाल, हरपाल और प्रवेश के खेतों में रोग पाया गया है। कुटेसरा गांव सहित सभी गांवों में 20 खेतों में पाया गया है। मिल प्रबंधन जोन हर गांव को चेक करेगा। देवंबद शुगर फैक्टरी ने करनाल शुगर ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक एसके पांडेय की देखरेख में टीम गठित की गई। इन गांवों में अन्य शुगर मिलों के केंद्र भी है। उनकी जांच में यह चौकाने वाली बीमारी आ सकती है।

क्या कहते हैं क्षेत्र के किसान

चरथावल समिति के पूर्व सभापति कुबेर दत्त त्यागी कहते हैं कि गहरे जगंलों में ईख में पानी नहीं सूख पाया। फंगस रोग से फसल को करीब 25 से 30 प्रतिशत नुकसान हुआ है। चौकड़ा गांव में पूर्व प्रधान सुभाष त्यागी कहते हैं कि किसानों के लिए यह साल पीड़ादायक रहा। पहले टॉप बॉरर, फंगस से 50 फीसदी गन्ना बर्बाद हो चुका है। अब रेड रॉट आने से गांव के किसानों की चिंता स्वाभाविक है।

ड्रोन से दवाओं का छिड़काव

प्रभावित खेतों में ड्रोन मशीन से छिड़काव कराया जा रहा है। जिस खेत में रेड रॉट पाया जा रहा है। पूरा खेत से बीज बदलवाने की सलाह दी जाती है। पूर्वांचल में कई सालों से यह बीमारी थी। कैंसर से खतरनाक बीमारी है। हर गांवों में खेतों को चेक किया जाएगा। लाल सड़न से बचने के लिए किसान 0238 बीज बदलकर 15023, 14201, 0118 रोपित करें - डॉ. विपिन त्यागी, उप महाप्रबंधक गन्ना देवबंद शुगर मिल

आंशिक है बीमारी, सतर्क रहें किसान

समिति क्षेत्र में अभी आंशिक बीमारी है। खेतों में मिल प्रबंधन छिड़काव करा रहे है। बचाव के लिए किसान पुराना बीज निकालकर ऊंची मेड़ करें। फसल चक्र अपनाएं। प्रभावित खेत में गैप देकर बीज रोपित करें।

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स्रोत: अमर उजाला