खाद बेचने में फर्जीवाड़ा, तीन कृषि केंद्रों में 21 दिनों के लिए तालाबंदी

August 16 2021

खाद वितरण में गड़बड़ी करने के आरोप में बिल्हा ब्लाक के अंतर्गत आने वाले लखराम के तीन कृषि केंद्र को 21 दिनों के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। इसके साथ ही संचालकों को कृषि विभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जवाब पेश करने के लिए तीन दिन की मोहलत दी है। विभाग के अफसरों ने औचक निरीक्षण किया। इस दौरान गड़बड़ी मिली।

कलेक्टर डा.सारांश मित्तर के निर्देश पर कृषि विभाग के उप संचालक शशांक शिंदे ने तीन कृषि अफसरों की निगरानी दल बनाकर जांच के निर्देश दिए थे। जिला स्तरीय उर्वरक निगरानी दल में सहायक संचालक अनिल कौशिक, उर्वरक निरीक्षक केएन साहू एवं आरएस गौतम को शामिल किया गया है। इसकी अगुवाई सहायक संचालक कौशिक कर रहे हैं।

बीते दिनों निगरानी दल में शामिल अफसरों की टीम बिल्हा ब्लाक के ग्राम लखराम पहुंची। मेमर्स हरिओम कृषि केंद्र, मेमर्स कृष्णा कृषि केंद्र व मेमर्स आर्या कृषि केंद्र का निरीक्षण किया। इस दौरान मेमर्स हरिओम कृषि केंद्र एवं मेमर्स कृष्णा कृषि केंद्र के संचालकों ने प्रतिष्ठान में विक्रय दर संबंधी बोर्ड नहीं लगाया था। इसके अलावा पंजी संधारण में अनियमितता पाई गई।

उपरोक्त संस्थानों में उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 की धारा 35 (1)ए एवं 35(बी) का उल्लंघन पाया गया। इसके अतिरिक्त पाश मशीन में उर्वरक का इंद्राज एवं मौके पर उर्वरक की मात्रा में भिन्न्ता पाई गई। इनके द्वारा मासिक प्रतिवेदन नियमित रूप से नहीं भेजा गया है। साथ ही गोदाम में उर्वरकों का विहित रूप से भंडारण और रखरखाव नहीं किया गया है।

नोटिस का जवाब संतोषजनक नहीं तो लाइसेंस होगा निरस्त

तीनों संचालकों को जारी नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि तय शर्तों का उल्लंघन का समुचित जवाब देना होगा। साथ ही मांगे गए दस्तावेज सौंपने होंगे। जवाब संतोषजनक ना होने व दस्तावेजों में गड़बड़ी मिलने की स्थिति में दुकान का लाइसेंस रद करने की कार्रवाई की जाएगी।

इसलिए कर रहे निगरानी

किसानों को गुणवत्तायुक्त खाद मिले। केंद्र सरकार द्वारा तय की गई दरों के आधार पर किसानों को खाद का वितरण की जाए। खाद की उपलब्धता के बाद शार्टेज का खेल खेलकर कालाबाजारी करने वाले कृषि केंद्र संचालकों की निगरानी की जा रही है। इसके लिए कृषि विभाग ने जिला स्तरीय निगरानी दल का गठन किया है। अनियमितता पाए जाने पर उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धाराओं के तहत उर्वरक विक्रेताओं पर कार्रवाई की जा रही है।

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स्रोत: Nai Dunia