खाद की कमी के चलते रोते-बिलखते किसान, जिला पार्षद ने दर्ज की शिकायत

January 26 2022

किसानों की परेशानियाँ कम होने का नाम नहीं लेती हैं। सरकार द्वारा अथक प्रयास भी अब नाकाम होने लगे हैं, क्योंकि किसान बीते कुछ महीनों से खाद के इंतजार में रबी फसलों को नुकसान हो रहा है। केंद्र सरकार द्वारा किसानों की मदद करने का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन इस वक्त किसानों को खाद की किल्लत से परेशान हो पड़ रहा है।

खाद की बढ़ती कमी

दरअसल, बिहार के सीतामढ़ी जिले के किसानों की कुछ ऐसी ही कहानी  है। रबी फसल के लिए कम से कम 30800 मीट्रिक टन यूरिया चाहिए था, लेकिन अभी तक मात्र 13 हजार एमटी यूरिया मिल पाई है। एक माह पहले करीब 14000 बोतल नैनो यूरिया (1/2 लीटर का एक बोतल होता है।) मिली थी। मांग को देखते हुए उसकी लूट हो गई। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूरिया के अभाव में किसानों पर क्या बीत रही होगी। खाद के लिए किसान दर-दर भटकते नजर आ रहे हैं।

जिला पार्षद ने दर्ज की शिकायत

रून्नीसैदपुर की जिला पार्षद रुब्बी कुमारी ने जिला कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार यादव से इस बात की शिकायत की है कि बाजार में यूरिया खाद नहीं है। इसके अभाव में रबी फसलों की खेती करने वाले किसान रोते नजर आ रहे हैं।

साहुकारों से कर्ज लेकर खेत में गेहूं बीज लगाया गया है, जिसके शुरुआती दिनों में खाद-पानी दिया। बीज उगकर जमीन से उपर निकला, तो खाद के अभाव में वह मुरझाने के कगार पर है। खेती बर्बाद होती देख किसान खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं।

गेहूं, मक्का, मसूर, तोरी, आलू, सरसो, केराव, समेत कई फसल बर्बाद होने के कगार पर हैं। फसल की बर्बादी देखकर किसान मायूस व हताश हैं। संपन्न किसान कालाबाजार से खाद खरीदकर काम चला रहे हैं, तो छोटे-छोटे व बटाईदार किसान मदद की आस लगाए बैठे हैं।

रबी की फसल सामान्यत: अक्टूबर-नवंबर के महीने में बोई जाती हैं। उदाहरण के तौर पर गेहूं, जौ, आलू, चना, मसूर, अलसी, मटर व सरसों रबी की प्रमुख फसलें मानी जाती हैं। फसल की कटाई फरवरी के अंतिम सप्ताह से लेकर मार्च के अंतिम सप्ताह तक हो जाती है।

जनवरी माह खत्म होने को है और अभी तक खाद के लिए ही हाहाकार मचा हुआ है। अब आप समझ सकते हैं कि समय पर फसल तैयार नहीं हुई, तो समय पर कटाई कैसे संभव होगी।

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स्रोत: Krishi Jagran