कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित की गेहूं की नई विकसित किस्म वी.एल. 2041, जानें विशेषताएँ

September 06 2022

देश में कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा किसानों की आय बढ़ाने, फसल का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए विभिन्न फसलों की नई-नई क़िस्में विकसित की जा रही है। इस कड़ी में भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा गेहूँ की एक नयी प्रजाति वी.एल. 2041 विकसित की गयी है जो कि बिस्कुट बनाने के लिए अत्यधिक उपयुक्त किस्म है। इस प्रजाति की पहचान 61वीं अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ शोधकर्ताओं की वार्षिक बैठक में की गई, जिसका आयोजन दिनांक 29 से 31 अगस्त 2022 को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में आयोजित की गई।
गेहूं किस्म की फसल में लगने वाली बीमारी ‘गेहूँ का ब्लास्ट रोग’ के लिए भीयह प्रजाति  मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। यह प्रजाति “भूरा तथा पीला रतुआ रोग हेतु प्रतिरोधी” भी है ।
गेहूं की इस विकसित किस्म पर पिछले 3 वर्षों में सिंचित एवं वर्षा आधारित परिस्थितियों में परीक्षण किया गया है। कुल 24 वर्षा आश्रित एवं 05 सिंचित प्रजाति का अखिल भारतीय परीक्षणों में इसकी बिस्किट क्वालिटी (फैलाव गुणांक) 11.07 आया है, जो कि पूरे देश में सर्वाधिक है। साथ ही इस किस्म में औसतन 9.07 प्रतिशत प्रोटीन तथा इसका दाना (दाना कठोरता सूचकांक 22.6) मुलायम है। ये सभी गुण, इस प्रजाति को बिस्कुट बनाने हेतु अभी तक की सबसे उपयुक्त किस्म बनाती हैं। यह प्रजाति बिस्कुट बनाने वाली उद्योगों के लिए लाभप्रद सिद्ध होगी तथा किसानों को भी इसकी उपज का अच्छा मूल्य मिलने की संभावना है।