कमेटी गठित, लेकिन एमएसपी की कानूनी गारंटी नहीं देगी केंद्र सरकार

July 20 2022

किसानों को उनकी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने के लिए सरकार ने कमेटी तो गठित कर दी है. लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा और सरकार के बीच इस मुद्दे को लेकर झगड़ा कायम है. किसान आंदोलन करने वाले लोग एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं. जबकि केंद्र सरकार ने इससे साफ इनकार कर दिया है. केंद्र ने कहा है कि सरकार ने कहा है कि कमेटी का गठन एमएसपी मिलने की व्यवस्था को और प्रभावी तथा पारदर्शी बनाने का सुझाव देने के लिए किया गया है न कि गारंटी देने के लिए. कमेटी गठन के नोटिफिकेशन में गारंटी जैसी कोई बात नहीं लिखी है. उधर, सरकार के इस रुख के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन करने की रणनीति बनानी शुरू कर दी है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस सांसद दीपक बैज और बीएसपी सांसद कुंवर दानिश अली के सवाल के जवाब में लोकसभा में कहा कि सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने के लिए नहीं बल्कि इसे और प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए कमेटी गठन का आश्वासन दिया था. इसके अनुरूप 29 सदस्यीय कमेटी का गठन किया जा चुका है. मतलब साफ है कि एमएसपी को लेकर एक बार फिर सरकार और किसान संगठन आमने-सामने हैं. कमेटी के कई ऐसे सदस्य हैं जो एमएसपी के घोर विरोधी माने जाते हैं.
सांसदों ने क्या पूछा?
क्या सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को दिसंबर, 2021 के दौरान किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी प्रदान करने के लिए एक समिति गठित करने का आश्वासन दिया था. क्या सरकार का विचार किसानों के उत्थान के लिए हेतु एमएसपी को लेकर कोई कानून बनाने का है. क्या सरकार की योजना एमएसपी व्यवस्था का विस्तार 22 अनिवार्य कृषि फसलों के अलावा अन्य फसलों तक करने का है? इन सवालों पर सरकार ने इधर-उधर की बात की है लेकिन एमएपी की गारंटी देने और इसका विस्तार दूसरी फसलों तक करने को लेकर कुछ नहीं कहा है.
एमएसपी गारंटी में सरकार समर्थक अर्थशास्त्रियों का तर्क
सरकार समर्थक कृषि अर्थशास्त्री अक्सर यह तर्क देते हैं कि एमएसपी की गारंटी देने से देशी की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी. वो अक्सर कहते हैं कि जो फसलें एमएसपी के दायरे में हैं, अगर उनकी पूरी खरीद मौजूदा रेट पर की जाए तो इस पर लगभग 17 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा. भारत की इकोनॉमी पाकिस्तान से भी ज्यादा खराब हो जाएगी. हालांकि, वो इस बात को भूल जाते हैं कि इसी देश में किसान 50 पैसे किलो प्याज 5 किलो लहसुन और दो रुपये किलो आलू बेचने के लिए मजबूर हैं. फिलहाल, सरकार ने एमएसपी की गारंटी पर कुछ नहीं बोला है. जिसके बाद नए किसान आंदोलन की रूपरेखा बननी तैयार हो गई है.
किसान नेता क्यों मांग रहे हैं गारंटी
किसी भी किसान नेता ने यह नहीं कहा है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी देने के बाद उनकी सारी फसलें सरकार ही खरीदे. किसानों का कहना है कि सरकार ऐसी कानूनी व्यवस्था बना दे जिससे कि एमएसपी के दायरे में आने वाली फसलों की निजी खरीद भी उससे कम पर नहीं हो सके. ताकि किसानों को नुकसान न हो. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का कहना है कि एमएसपी की सार्थकता तब है जब खरीद गारंटी कानून लागू हो. वरना खरीद नहीं होगी और पूरा दाम नहीं मिलेगा तो इसका क्या फायदा.
अब आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा
संयुक्त किसान मोर्चा अराजनैतिक के सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि यह कमेटी सरकार की इच्छा अनुसार फैसला करने व एमएसपी पर खानापूर्ति करने के लिए बनाई गई है. इसलिए मोर्चा इस कमेटी में शामिल नहीं होने का ऐलान करता है. स्वामीनाथन आयोग के सी2+50 फीसदी फॉर्मूले के अनुसार एमएसपी की गारंटी का कानून बनवाने के लिए आंदोलन ही हमारे पास एकमात्र रास्ता बचा है. अब हम आंदोलन की बड़ी रणनीति तैयार करने का काम करेंगे. सरकार अभी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक एमएसपी नहीं दे रही है
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स्रोत: Tv9