ऐसे लें बारिश एवं ओला वृष्टि से हुए फसल नुकसान का मुआवजा

May 10 2023

इस वर्ष रबी सीजन में बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई राज्य सरकारों द्वारा जल्द की जाएगी। ऐसे में वास्तविक किसानों को योजना का लाभ मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। इस कड़ी में हरियाणा सरकार ने राज्य में किसानों को स्वयं ही फसल नुकसान की सूचना ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से देने का विकल्प दिया था।  जिसमें राज्य के किसानों ने ई-फसल क्षति पोर्टल के माध्यम से फसल नुकसान की सूचना भी दर्ज कराई है परंतु अब किसानों के द्वारा दर्ज कराई गई इन सूचनाओं में कई तरह की गड़बड़ी सामने आई है जिसको लेकर सरकार ने किसानों से इसे दूर करने के लिए किसानों को कहा है।

किसान फसल मुआवजा प्राप्त करने के लिए करें यह काम 

हरियाणा सरकार के एक सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कुछ किसानों ने शिकायत की है कि जब वे अपनी फसलों के ख़राबा का ब्यौरा ऑनलाइन-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दर्ज करवाने गए तो पता चला कि उनकी जमीन के मालिक के तौर पर बैंक खाता नंबर तथा मोबाइल नंबर किसी अन्य व्यक्ति ने दर्ज करवा रखे हैं जो कि सरासर धोखाधड़ी है। उन्होंने आशंका जताई कि ऐसे मामले अधिकतर उन किसानों के सामने आते हैं जो कम पढ़े -लिखे हैं।प्रवक्ता ने प्रदेश के किसानों को आगाह करते हुए कहा है कि सभी किसान क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपने -अपने बैंक खाता व मोबाइल नंबर की जाँच कर लें, अगर कोई गड़बड़ी मिलती है तो वे तुरंत प्रभाव से अपने क्षेत्र के तहसीलदार या एसडीएम को दे दें ताकि उसको दुरुस्त किया जा सके। 

सरकार ने बैंक खातों एवं मोबाइल नंबर जाँचने के दिए निर्देश 

मोबाइल नम्बर, खाता संख्या में गलती के चलते फसल खराबे का मुआवजा सम्बन्धित किसान को मिलने में परेशानी हो सकती है। इन्ही गड़बड़ी की शिकायतों को देखते हुए राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने -अपने जिला में किसानों को क्षतिपूर्ति पोर्टल पर बैंक खातों और मोबाइल नंबर की जांच करने की एडवाइजरी जारी करें ताकि पीड़ित किसानों के साथ धोखाधड़ी भी न हो, और नुकसान की प्रतिपूर्ति राशि जमीन के असली मालिक को मिल सके। राज्य सरकार ने सभी तहसीलदारों और उपमंडल अधिकारियों को किसानों की शिकायतों को प्राथमिकता से दूर करने के निर्देश दिए हैं।

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स्रोत: किसान समाधान