एक लाख किसानों के खेतों पर बनाए जाएँगे सिंचाई के लिए कूप

March 06 2023

सिंचाई के लिए किया जाएगा 1 लाख कूप का निर्माण 

किसानों की आमदनी एवं फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए खेतों में सिंचाई के सुनिश्चित साधन होना आवश्यक है ताकि किसान एक वर्ष में एक से अधिक फसल ले सकें और फसलों की समय पर सिंचाई कर सकें। सिंचाई के महत्व को देखते हुए सरकार द्वारा किसानों तक सिंचाई के संसाधन उपलब्ध कराने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में इस वर्ष झारखंड सरकार ने किसानों को सिंचाई के साधन उपलब्ध कराने के लिए कई घोषणाएँ की है। झारखंड सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 में जहां कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रों के लिए 4,627 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, वहीं सिंचाई सुविधाओं और सिंचाई क्षमता के विस्तार के लिए जल संसाधन विकास हेतु 1,964 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसके अतिरिक्त सरकार ने किसानों को सिंचाई कूप उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण विकास के बजट में प्रावधान किया है, इसके लिए सरकार नई योजना शुरू करने जा रही है।

किसानों के खेतों पर बनाए जाएँगे सिंचाई कूप

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री श्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने बताया कि किसानों को सिंचाई कूप उपलब्ध कराने हेतु मनरेगा तथा राज्य योजना के तहत “बिरसा सिंचाई कूप संवर्धन मिशन” नामक नई योजना शुरू की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत 1 लाख किसानों की व्यक्तिगत भूमि पर सिंचाई कूप का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए राज्य योजना से प्रत्येक लाभार्थी को 50 हजार रुपए सामग्री मद में तथा शेष राशि मनरेगा योजना से दी जाएगी। इसके अलावा सरकार ने अपने बजट में किसानों को सिंचाई के लिए 5 एकड़ से कम क्षेत्र वाले तालाब से गाद हटाने के लिए और डीप बोरिंग के लिए 500 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया है। वही सौर ऊर्जा औऱ दूसरे सतत उर्जा के माध्यम से माइक्रोलिफ़्ट इरिगेशन सिंचाई को कारगर बनाने के लिए कृषि समृद्धि योजना लागू की जायेगी।

सिंचाई के लिए प्रस्तावित लिफ़्ट सिंचाई परियोजनाएँ

वित्त मंत्री ने बताया कि सोन-कनहर मेगा लिफ़्ट सिंचाई परियोजना में भू-अर्जन प्रक्रिया की जटिलता से बचते हुए इसके तीव्र कार्यान्वयन के मद्देनज़र दुमका में मसलिया – रानेश्वर एवं देवघर – जामताड़ा ज़िला में सिकटिया मेगा लिफ़्ट सिंचाई योजनाएँ कार्यान्वित की जा रही है। इसी आधार पर इस वित्त वर्ष में पटमदा तथा मेगा लिफ़्ट सिंचाई परियोजनाएँ शुरू की जाएँगी।

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स्रोत: किसान समाधान